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खबर रिएक्शन ! राजस्थान : सिपाही का दर्द,आईपीएस पंकज चौधरी ने कहा ऐसा नहीं था कॉन्स्टेबल सुभाष

फाइल फोटो

राजस्थान । "राज्य , देश एंव समाज के बीच सुधारों के लिए संघर्षरत , whistle blower , RTI activist , समाज सुधारक , पुलिस सुधार के अग्रणी , युवाओं के प्रेरणास्रोत दंबग आईपीएस पंकज चौधरी ने प्रतापगढ़ के जवान सुभाष विश्नोई के सुसाइड के प्रयास पर अपनी अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार से दी है । जानते है चौधरी ने इस सिपाही के बारे में क्या कहाँ उनकी ज़ुबानी । "


मुझे याद है जब मैं वर्ष २०११ ट्रेनिंग के दौरान तत्कालीन एडीजीपी ट्रेनिंग सुधीर प्रताप जी ने आईपीएस ट्रेनिंग में २००९ बैच के ६ आईपीएस अधिकारियों को राज्य के विभिन्न पीटीएस में भेजा था । मुझे झालावाड़ पीटीएस जाने का अवसर मिला । झालावाड़ सर्किट हाऊस में ठहरना हुआ था । 

पहले दिन सभी ट्रेनिंग कर रहे जवानों के साथ सम्पर्क सभा में चर्चा हुयी । जवानों से मैनें एक प्रश्न सभी से पुछा पुलिस की नौकरी में क्यों आये ? किसी भी जवान का उत्तर संतोषप्रद नहीं लगा । इसलिए भी की शायद पुलिस में आने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं था । अगले दिन जवानों से अधिक संपर्क एंव उनके विचारों को जानने के लिए क्रिकेट मैच का आयोजन कराया जिससे कई जवान कुछ खुले अपनी समस्याओं एंव पुलिस में आने का मक़सद बताया जो आश्चर्यजनक था ।

 पुन: तीसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कराया व पुलिस के बारे में बोलने के लिए जवानों को मंच पर आमंत्रित भी किया । इसी दौरान सुभाष विश्नोई संपर्क में आया । पुन: अगले दिन सम्पर्क सभा में एक जवान ने मुझसे छुट्टी का निवेदन किया , मैने पुछा किस कारण छुट्टी चाहते हो जबकि ट्रेनिंग में छुट्टी प्रायः: नहीं मिलती है । उस जवान ने पुन: पुछने पर बताया कि साहब पटवारी की परीक्षा है मेरा चयन वहाँ हो जायेगा तो अचछा रहेगा । जवान का जवाब कई प्रश्न खड़े कर गया । पुन: एक वर्ष उपरातं मैं बाँसवाड़ा ट्रेनिंग के दौरान एडीशनल एसपी बाँसवाड़ा के तौर पर उदयपुर पुलिस रेजं खेल में शामिल हुआ । मुझे वहाँ भी सुभाष मिला काफी खुश था पुलिस खेल प्रतियोगिता का आनदं भी ले रहा था । 

आज जब सुभाष के बारे में पता चला तो काफी निराशा हुई और यह प्रश्न पुन: सामने आया कि एक हँसता खेलता जवान जिसे झालावाड़ , उदयपुर हँसते देखा इतना निराश क्यों है ? प्रतापगढ़ एसपी मानसिक बीमारी कह तात्कालिक उतर अवश्य दे गये पर जब मुल में जाते है तो समस्या कुछ और पाते है जो शनै शनै विकराल हो गयी । मुझे याद है जब मैं दिल्ली पहली नौकरी वर्ष २००० में करता था तो पहली सैलरी मात्र ७,४५० रुपये मिलता था । इस सैलरी में दिल्ली रह कर जीवन यापन करना कितना मुश्किल था वो मैं ही समझ सकता था । कई तरह के क़र्ज़े हो गये बडी मुश्किल से ईमानदारी से जीवन यापन होता था । इन्हीं परेशानियों ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी ।

पिछले आठ वर्षों से विभिन्न जिलों कोटा , बाँसवाड़ा , जैसलमेर , बूदीं , अजमेर , दिल्ली आरएसी , जयपुर एससीआरबी पदस्थापन के दौरान जवानों को क़रीब से जाना व यह पाया कि ९० प्रतिशत जवान अचछे है शेष १० प्रतिशत आपराधिक लक्षणों से युक्त होते है तथा भ्रष्टाचार की सारी सीमाओं को लाघतें भी है । विषय उन जवानो का है जो स्वाभिमान एंव ईमानदारी के साथ काम करते है पर वेतन विसंगति और अनियमित दिनचर्या से पीड़ित है । उनकी माँगें जायज़ है समयानुसार वेतन विसंगति व पुलिस सुधार को समग्र रुप से लागु करने का वक़्त भी आ गया है ।


राज पुलिस कर्मियों की निम्न मांग एंव सम्मान बनाये रखने पर उच्च स्तर पर विचार करना चाहिए ।
(1) वेतन में की जा रहे कटौती के आदेश को निरस्त करना ।
(2) सातवां वेतन आयोग केंद्र के अनुरूप आर्मी की तर्ज पर पुलिस को वेतन एवं भत्ते दिए जावे ।
(4) हार्ड ड्यूटी भत्ता 12% भाग के स्थान पर वेतन एवं DA का 50% किया जावे।
(5) मैस एवं हार्ड ड्यूटी भत्ते को आयकर के दायरे से बाहर किया जावे।
(6) चुनावों के दौरान समस्त पुलिस बल को चुनाव आयोग की दर से प्रतीकात्मक भत्ता दिया जावे।
(7) पुलिस कांस्टेबल का न्यूनतम वेतन तृतीय श्रेणी शिक्षक के बराबर किया जावे।
(8) कांस्टेबल पद के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12th/ बीए की जावे।
(9) पुलिस कर्मियों का न्यूनतम मैस भत्ता पैरा मिलिट्री फोर्स के अनुरूप किया जावे।
(10) पुलिस स्थानांतरण नीति में गृह जिले में स्थानांतरण की सीमा 15 वर्ष से घटाकर 7 वर्ष की जावे एवं संभाग में 7 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष की जावे ।
(11) साप्ताहिक अवकाश के विकल्प पर ध्यान दिया जाए।


उच्च स्तर पर कांस्टेबलों की मांगों पर संवेदनशील होकर विचार करना चाहिए। जिसके संदर्भ में प्रतापगढ़ में जवान सुभाष विश्नोई के साथ घटित परिस्थिति न सिर्फ़ चिंतनीय बल्कि गंभीर भी है ।

 घटना इस प्रकार से है । प्रतापगढ़ जिले में तैनात एक पुलिस कर्मी सुभाष ने वेतन कटौती समेत अन्य मांगे जाहिर करते हुए सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल करने के बाद आत्महत्या का प्रयास किया जाना बताया जा रहा  है। 5 पेज का सुसाइड नोट सोशल मीडिया में वायरल हो रहा हैं जिसमे कॉन्स्टेबल ने अपनी सारी व्यथा बताई हैं ! वहीं पुलिस की मदद के लिए आमजन को भी गुहार करते हुए भी लिखा है ! हाल ही चल रहव वेतन कटौती के मामले को भी सुसाइड नोट में लिखा बताया जा रहा हैं !
वही मीडिया रिपोर्ट की माने तो प्रतापगढ़ पुलिस अधीक्षक ने कांस्टेबल की दिमागी स्थिति सही नही होने व उपचार चलने की बात कहते हुए अधिक दवा सेवन से तबियत बिगड़ने की बात कही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार राजस्थान पुलिस के कांस्टेबल सुभाष विश्नोई जो वर्तमान में पुलिस अधीक्षक कार्यालय प्रतापगढ़ में तैनात है। इस कांस्टेबल के नाम से एक सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वारयल हुआ जिसमें उसने पुलिस सेवा के दौरान होने पुलिस कार्मिको की परेशानियों का समाधान नही होने से खुद को आहत बताया, इस सुसाइड नोट में अधिकारियों और आम जन से भी अपील की है।


इसके बाद कांस्टेबल की तबियत बिगड़ गयी जिसे अस्पताल पहुंचाया गया। इस मामले में जिला पुलिस अधीक्षक शिव राज मीणा ने कहा कि कांस्टेबल की तबियत कुछ समय से खराब है मानसिक उपचार चल रहा है। रात अधिक दवा लेने से तबियत बिगड़ गयी है। वहीं सूत्र व मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक साथ ही कार्मिक द्वारा सुसाईड नोट लिखने की बात को स्वीकार किया है ।


अंतत: मेरा मानना है कि वर्ष १९९६ से माननीय उच्चतम नयायलय में विचाराधीन "पुलिस सुधार " के संदर्भ में वर्ष २००६ व २०१६ में आये आदेशों की पालना धरातल स्तर पर सुनियोजित तरीके से बेहतर सामंजस्य एंव सच्ची नियत के साथ रखते ही एेसे लाखों सिपाहियों का दर्द कम होगा व पुलिस का ईकबाल न सिर्फ़ बुलंद होगा बल्कि आमजनता व पब्लिक के बीच ग़ैप भी शनै शनै कम होगा । 
जयहिदं जय जवान

सुशील वर्मा,स्वतन्त्र पत्रकार, उत्तर प्रदेश

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