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जय-जवान,जय-किसान नारा अब किताबी नारा,सरकार ना सुन रही किसानों की ना सुन रही जवानों की..!


हठधर्मी सरकार ना सुन रही किसानों की ना सुन रही जवानों की..!!

आमजन की सुरक्षा में तैनात जवानों की सैलरी में सरकार का यह कैसा डाका..!!


पत्रकार कमलेश शर्मा की स्पेशल रिपोर्ट
राजस्थान । जय जवान जय किसान भारत का एक प्रसिद्ध नारा है। यह नारा सबसे पहले १९६५ के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री  ने दिया था।इसे  भारत का राष्ट्रीय नारा भी कहते हैं जो जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है। लेकिन आज बड़ी विडंबना की बात है कि सरकार में बैठे सफेदपोश नेताओं के कारण यह नारा अब सिर्फ किताबी नारा ही रह गया। आज परिस्थितियां किसानों के लिए तथा जवानों के लिए बड़ी दयनीय हो गई है जहां एक और किसान अपने हक के लिए जमीनी समाधि सत्याग्रह तक उतर गया और सरकार के जूं तक नहीं रेंगी तो वहीं दूसरी ओर पुलिस के जवान अपने हक के लिए आत्महत्या तक करने पर मजबूर हो गए। 

जिन नेताओं ने देश को आगे बढ़ाने के लिए इन नारों का सहारा लेकर किसानों को और जवानों को उत्साहित करने का काम किया वर्तमान सरकार इन किसानों को और जवानों को अपनी हठधर्मिता के चलते उससे कहीं ज्यादा हताश करने पर तुली है राजस्थान सरकार के इन 3 सालों में किसानों ने कई बार महापड़ाव आंदोलन किए, तो कहीं पर कुछ किसानों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला तक समाप्त कर ली, और आज भी राजधानी की नोक पर नींदड़ गांव में किसान अपने हक के लिए पिछले 11 दिनों से अनशन पर जमीनी समाधि लेकर बैठे हैं 

लेकिन सरकार उन्हें सुनने को तैयार नहीं है तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान पुलिस की विडंबना भी सरकार ने कुछ ऐसी ही कर रखी है जहां एक ओर ढोंग रचाकर सत्ता में आए सफेद पोश नेताओं के भत्तों में तथा सुख सुविधाओं में कमी करने के बजाय 365 दिन 24 घंटे जनता की सुरक्षा के लिए खड़े पुलिस जवानों की वेतन में कटौती करने पर उतर आई। आखिर जो जवान आमजन की सुरक्षा में 24 घंटे तत्पर खड़े रहते हैं उनकी सैलरी पर भी  सरकार ने  डाका मार दिया। आपको बता दें कि पुलिस जवानों को उनका हक दिलाने के लिए एक जवान ने आत्महत्या तक प्रयास कर लिया है जानकारी के अनुसार प्रतापगढ़ जिले में तैनात एक पुलिस कर्मी ने वेतन कटौती समेत अन्य मांगे जाहिर करते हुए सुसाइड नोट सोशल मीडिया पर वायरल करने के बाद आत्महत्या का प्रयास किया जाना बताया जा रहा  है।

5 पेज का सुसाइड नोट सोशल मीडिया में वायरल हो रहा हैं जिसमे कॉन्स्टेबल ने अपनी सारी व्यथा बताई हैं ! वहीं पुलिस की मदद के लिए आमजन को भी गुहार करते हुए भी लिखा है ! हाल ही चल रहे वेतन कटौती के मामले को भी सुसाइड नोट में लिखा बताया जा रहा हैं !वही मीडिया रिपोर्ट की माने तो प्रतापगढ़ पुलिस अधीक्षक ने कांस्टेबल की दिमागी स्थिति सही नही होने व उपचार चलने की बात कहते हुए अधिक दवा सेवन से तबियत बिगड़ने की बात कही है।  वही मामले में राजस्थान के IPS पंकज चौधरी ने बताया कि  एक बार एक जगह पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कराया व पुलिस के बारे में बोलने के लिए जवानों को मंच पर आमंत्रित भी किया । 

इसी दौरान सुभाष विश्नोई संपर्क में आया । पुन: अगले दिन सम्पर्क सभा में एक जवान ने मुझसे छुट्टी का निवेदन किया , मैने पुछा किस कारण छुट्टी चाहते हो जबकि ट्रेनिंग में छुट्टी प्रायः: नहीं मिलती है । उस जवान ने पुन: पुछने पर बताया कि साहब पटवारी की परीक्षा है मेरा चयन वहाँ हो जायेगा तो अचछा रहेगा । जवान का जवाब कई प्रश्न खड़े कर गया । पुन: एक वर्ष उपरातं मैं बाँसवाड़ा ट्रेनिंग के दौरान एडीशनल एसपी बाँसवाड़ा के तौर पर उदयपुर पुलिस रेजं खेल में शामिल हुआ । मुझे वहाँ भी सुभाष मिला काफी खुश था पुलिस खेल प्रतियोगिता का आनदं भी ले रहा था ।आज जब सुभाष के बारे में पता चला तो काफी निराशा हुई और यह प्रश्न पुन: सामने आया कि एक हँसता खेलता जवान जिसे झालावाड़ , उदयपुर हँसते देखा इतना निराश क्यों है ? 

प्रतापगढ़ एसपी मानसिक बीमारी कह तात्कालिक उतर अवश्य दे गये पर जब मुल में जाते है तो समस्या कुछ और पाते है जो शनै शनै विकराल हो गयी । मुझे याद है जब मैं दिल्ली पहली नौकरी वर्ष २००० में करता था तो पहली सैलरी मात्र ७,४५० रुपये मिलता था । इस सैलरी में दिल्ली रह कर जीवन यापन करना कितना मुश्किल था वो मैं ही समझ सकता था । कई तरह के क़र्ज़े हो गये बडी मुश्किल से ईमानदारी से जीवन यापन होता था । इन्हीं परेशानियों ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी ।

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