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जयपुर:-19 मार्च तक मिले मान्यता अन्यथा होगा आमरण अनशन


मान्यता चाहिए आश्वासन नहीं–देवकिशन राजपुरोहित
रिपोर्ट एक्सक्लूसिव,जयपुर /हनुमानगढ़। अगर राजस्थानी भाषा को आगामी 19 मार्च तक मान्यता नहीं मिली तो वरिष्ठ वयोवृद्ध साहित्यकार देवकिशन राजपुरोहित रामलीला मैदान में आमरण अनशन पर बैठेंगे।उन्होंने 30 जनवरी को अपना आमरण अनशन का नोटिस राज्यपाल,राजस्थान के माध्यम से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री,भारत सरकार को भेज दिया है। पिंक सिटी,प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस में देवकिशन राजपुरोहित ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अगर राजस्थानी को मान्यता नहीं मिली तो वे अपनी जान दे देंगे।

 राजपुरोहित ने बताया कि संविधान की आठवीं अनुसूची में केवल 14 भाषाएं सम्मिलित थी जबकि 1967 में सिंधी भाषा को जोड़ा गया जो कि किसी भी प्रदेश की भाषा नहीं है इसके बाद 1992 में कोंकणी मणिपुरी और नेपाली को सम्मिलित किया गया।सन 2004 में बोडो,डोगरी,संथाली व मैथिली भाषा को शामिल किया गया।इस प्रकार अब संविधान में 22 भाषाएं हैं।

 उन्होंने बताया कि राजस्थानी 1200 साल पुरानी भाषा के साथ-साथ 11 करोड़ लोगों की भाषा राजस्थानी आज भी मान्यता को तरसती है। राजस्थानी अमेरिका के वाइट हाउस में मान्यता प्राप्त है तथा नेपाल की दूसरी भाषा के रूप में स्वीकृत है।एक ओर राजस्थानी विश्व भर में 11 करोड़ लोगों की भाषा मान्यता को तरसती हैं। वहीं संथाली 8 लाख,डोगरी 15 लाख,बोडो 8 लाख,सिंधी 22 लाख,मणिपुरी 11 लाख,कोंकणी 15 लाख लोगों द्वारा बोली में लिखी जाती है।

देवकिशन राजपुरोहित ने कहा कि राजस्थानी 36 कौम के मजदूर,किसान,व्यापारी,कर्मचारी और विद्यार्थियों की भाषा है जिसका वृहद शब्दकोश 3 लाख शब्दों का है और लगभग 30 लाख लिखित ग्रंथ हैं।हिंदी में राजस्थानी के अधिकतर रासो ग्रंथ और महाकाव्य पढ़ाए जाते हैं।उन्होंने राजस्थानी की एकरूपता के बारे में बताया कि राजस्थानी का मानक रूप है।

सन 1961 में अब तक फिल्म सेंसर बोर्ड ने 150 राजस्थानी फिल्मों को प्रमाण पत्र दिया है।केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने 30 वर्ष पूर्व राजस्थानी को मान्यता दे दी थी।विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा राजस्थानी में नेट और जेआरएफ परीक्षा ली जाती है।आकाशवाणी और दूरदर्शन द्वारा भी समाचार वाचन किया जाता है।राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर में स्थापित कर रखी है।

जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में स्वतंत्र विभाग के माध्यम से राजस्थान तक स्नातक स्नातकोत्तर शोध कार्य कराया जाता है।राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की सीनियर कक्षा में राजस्थानी ऐच्छिक विषय के रूप में मान्यता प्राप्त है।इस समय नेट जेआरएफ तथा पीएचडी किए हुए 1000 युवक-युवतियां है तथा स्नातक स्नातकोत्तर लगभग 5 हजार युवक-युवतियां हैं।

राजपुरोहित ने बताया कि हमारी प्राथमिक शिक्षा का माध्यम राजस्थानी होना चाहिए।भारत का संविधान अपनी भाषा में शिक्षा का मौलिक अधिकार देता है।भाषा का यह आंदोलन आजादी से पूर्व 1944 में आरंभ हुआ था।सन 1992 में हमने वोट क्लब पर धरना दिया था।25 अगस्त 2003 में राजस्थान विधानसभा ने संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया था। विगत 6 मई 2015 को 5000 लोगों ने जंतर मंतर पर धरना दिया था।गृहमंत्री राजनाथ सिंह कई बार मान्यता का आश्वासन दे चुके हैं मगर प्रगति कुछ भी नहीं हो रही है।

 राजपुरोहित ने दोहराया कि अब किसी भी आश्वासन को नहीं माना जाएगा।मेरा यह मरना-धरना भाषा की मान्यता मिलने तक या मेरे मरने तक जारी रहेगा।मेरे मरने पर राजस्थान में होने वाली है अशांति के लिए सरकार दोषी होगी।इस अवसर पर गौतम अरोड़ा,सरंक्षक डॉ. गौरीशंकर निमिवाल,प्रदेश संयोजक,मुकेश गोदारा प्रदेश प्रवक्ता दुलीचंद भोभरिया प्रदेश प्रचार मंत्री,मायड़ भाषा राजस्थानी छात्र मोर्चा, राजस्थान तथा राजस्थानी मासिक पत्रिका माणक के प्रधान संपादक पदम मेहता भी उपस्थित थे।

आमरण अनशन की तैयारियां
19 मार्च रामलीला मैदान में आमरण अनशन की तैयारी बाबत पूरे प्रदेश में राजस्थानी छात्र मोर्चा तहसील स्तर से लेकर जिला स्तर,संभाग स्तर पर तैयारियां कर रहा है जिसके तहत कल राजस्थान के सांसदों को होली की गूंगा राम राम किया जाएगा।12 मार्च को प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन सौंपा जाएंगे।अगर सरकार बजट सत्र में मान्यता नहीं देती है तो राजस्थानी छात्र मोर्चा गांव-गांव,ढाणी-ढाणी से लेकर किसानों,मजदूरों,युवाओं के साथ सड़कों पर उतरेगा।

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