रिपोर्ट एक्सक्लूसिव,हनुमानगढ़। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित टीबी उन्मूलन शिखर सम्मेलन में देश को 2025 तक टीबी से मुक्त करने की घोषणा की। मोदी ने टीबी (तपेदिक) मुक्त भारत अभियान लांच करते हुए कहा कि दुनियाभर में टीबी को खत्म करने के लिए वर्ष 2030 तक का समय तय किया गया है लेकिन हम इसे पांच साल पहले ही हासिल करेंगे। इस सम्मेलन में हनुमानगढ़ से जिला क्षय रोग अधिकारी डाॅ. रविशंकर शर्मा सम्मिलित हुए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, विश्व स्वास्थ्य संगठन, दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय तथा स्टॉप टीबी पार्टनरशिप द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन में कहा कि टीबी को भारत से मिटाने के लिए राज्य सरकारों की भी बड़ी भूमिका है।
सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करते हुए इस मिशन में राज्य सरकारों को अपने साथ लेकर चलने के लिए सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर इस अभियान से जुड़ने का आग्रह किया है। मोदी ने कहा कि बड़े और मुश्किल लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। उसके लिए पहली आवश्यकता है कि कोई लक्ष्य तय तो किया जाए। जब लक्ष्य ही तय नहीं होगा, तो फिर न रफ्तार रहेगी, न दिशा रहेगी और न ही आप मंजिल तक पहुंच पाएंगे।
उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिरक्षा 30-35 साल से चल रहा है।
बावजूद इसके 2014 तक हम संपूर्ण कवरेज का लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाए थे। जिस रफ्तार से प्रतिरक्षा का दायरा बढ़ रहा था, अगर वैसे ही चलता रहता तो भारत को संपूर्ण कवरेज तक पहुंचने में 40 साल और लग जाते। उन्होंने कहा कि पहले हमारा प्रतिरक्षण कवरेज सिर्फ 1 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा था। सिर्फ तीन-साढ़े तीन साल में अब ये 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष से ज्यादा हो गया है और अगले एक वर्ष में हम 90 प्रतिशत प्रतिरक्षण कवरेज का लक्ष्य हासिल करने जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि ऐसी ही नई अप्रोच के साथ हमारी सरकार स्वच्छ भारत मिशन के लिए भी काम कर रही है। इसी का नतीजा है कि 2014 में देश के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता का जो दायरा लगभग 40 प्रतिशत था अब वो बढ़कर लगभग 80 प्रतिशत तक पहुंच गया है। इतने कम समय में हमने दोगुनी कवरेज हासिल की है।
लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिरक्षा की रफ्तार को बढ़ाना होगा: डाॅ. शर्मा
सम्मेलन के पश्चात हनुमानगढ़ पहुंचे डाॅ. रविशंकर शर्मा ने बताया कि यह सम्मेलन टीबी को समाप्त करने के लिए सहायक साबित होगा। टीबी जिस तरह देश के स्वास्थ्य पर असर डाल रही है, उसे देखते हुए इसके खिलाफ लड़ाई जरूरी है। भारत मे 2025 तक टीबी को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है और इसके अनुसार अब जिले में कार्य शुरू कर दिया गया है।
डाॅ. शर्मा ने कहा कि किसी भी संक्रामक रोग से टीबी का प्रभाव सबसे ज्यादा है और इसका सबसे ज्यादा शिकार भी गरीब होते हैं। इसलिए टीबी खत्म करने के लिए उठाया गया हर कदम सीधे-सीधे गरीबों के जीवन से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि टीबी के मरीजों की सही पहचान हो, सक्रिय मामलों के बारे में समय पर पता चले, जो दवाइयां दी जा रही हैं, वो प्रभावी हैं भी या नहीं, दवा प्रतिरोधी टीबी तो नहीं है, इन विषयों को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि टीबी को 2025 तक पूर्ण रूप से समाप्त करने को अर्जित करने के लिए विभाग एवं फील्ड स्टाॅफ को प्रतिरक्षा के दायरे व रफ्तार को बढ़ाना होगा।
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