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हनुमानगढ़:-नेता जी जरा अपने संघर्षो पर गौर करे!मीडिया नहीं बल्कि खुद को झूठ बोलने से रोको! अगर है हिम्मत तो ले ये फैसला...!

फ़ेसबुक पर मीडिया के विरुद्ध चढ़ाई गयी पोस्ट

हनुमानगढ़।(कुलदीप शर्मा) शहर में चुनावो को लेकर लगातार सरगर्मियां बढ़ती जा रही है। चुनावी मैदान में हर कोई अपनी राजनीति चमकाने में लगे हुए है। अब धीरे-धीरे हर गली-मोहल्लों में चुनावो को लेकर सभी जने नेतागिरी करना शुरू कर चुके हैं! जिनका आज तक राजनीति या जनता के लिए कोई भी योगदान नहीं है वो भी अपने आप को बड़ा व महान नेता बताने लगे है! इतना ही नहीं ये स्वंयशम्भू महान नेता मीडिया के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने में जरा भी नहीं हिचकिचाते है।

जिनको मीडिया ने दी तवज्जो वो ही उगल रहे अपशब्द!
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चुनावी सीजन शुरू होने के बाद से अचानक अपने क्षेत्र से निकल आये अनेको नेताओ के संघर्ष को मीडिया दिखाती आई है। लेकिन उनमे से ही वो लोग मीडिया के प्रति ऐसी अनाब-सनाब बोलने से जरा भी नहीं कतरा रहे है। अब उन स्वयंशम्भू महान नेताओ को ये भी नहीं पता होगा कि भारत को आजाद करवाने से लेकर आजतक के मीडिया योगदान पर नजर डाली जाए तो उन्हें ज्ञात होगा कि मीडिया कितना संघर्ष करती है। 

पक्ष में लगाये तो अच्छी मीडिया,विपक्ष में लगाये तो बुरी मीडिया!
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देश मे राष्ट्र का चौथा स्तम्भ होने के नाते अपना कार्य बखूभी से निभाते आ रही है। लेकिन कुछ एक मीडिया विरोधी जनों के पेट मे दर्द होने के चलते मीडिया विरोधी शब्दो का उपयोग करते रहते है। मीडिया को पक्ष में लगाने पर ईमानदार तो विपक्ष में लगाने पर बेईमान का खिताब ये खुद ही देते नजर आते हैं। महान नेता जी क्या आपकी किसी संघर्ष को मीडिया ने नहीं दिखाया या कभी आप मीडिया के पास चलकर नहीं गए कि भाई साहब प्लीज खबर जरूर लगाना। अगर इतना ही पेट दर्द होता है तो आज के बाद ये भी प्रण ले कि खबर किसी मीडियाकर्मी को नहीं देंगे और खुद निस्वार्थ भाव से सेवा करेंगे। किसी भी मीडिया में अपनी खबर नहीं लगवाएंगे। जिस सोशल मीडिया पर आप ये लिख रहे हो महान नेता जी वो भी एक मीडिया(सोशल) ही है!

अगर है हिम्मत तो ले फैसला...!


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