रिपोर्ट एक्सक्लूसिव,बीकानेर(जयनारायण बिस्सा)। वासंतिय नवरात्र आज से शुरू होंगे। जो आठ दिन के रहेंगे। तिथियों में घट बढ़ होने के कारण वर्ष 2015 से अब तक लगातार चैत्र नवरात्र आठ दिन के ही रहे हैं। इस बार 18 मार्च से शुरू होने वाले नवरात्र में नवमी तिथि का क्षय होने से 25 मार्च को ही नवरात्र समाप्त हो जाएंगे और इसी दिन रामनवमी की धूम भी रहेगी। नवरात्र का प्रथम दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ मनाया जाएगा। इसके अलावा इस नवरात्र में एक संयोग यह भी बनेगा कि नवरात्र रविवार से शुरु होकर रविवार को ही समाप्त होंगे।
सूर्योदय से सूर्यास्त तक कर सकते हैं कलश स्थापित
प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापन का विधान है। 18 को प्रतिपदा तिथि सूर्योदय से शाम 6.08 तक है। इस बीच कभी भी कलश स्थापना की जा सकती है। विशेष मुहूर्त की बात करें तो अभिजीत मुहूर्त प्रात: 11.36 से लेकर अपराह्न 12.34 तक है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को द्विस्वभाव लग्न में प्रात: 6.37 से 7.56 बजे तक घट स्थापना कर नवरात्र प्रारंभ करने का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। इसके अलावा चर, लाभ, अमृत के चौघडि़ए व अभिजित मुहूर्त में प्रात: 8.07 बजे से दोपहर 12.59 बजे तक घट स्थापना के साथ नवरात्र प्रारंभ किए जाएंगे। इसी बीच कलश स्थापित कर भगवती का आह्वान व षोडशोपचार पूजन कर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने का विधान है।
इन मंदिरो में जुटेगी भक्तों की भारी भीड़
नवरात्र में देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ जुटेगी। देशनोक के करणी मंदिर,पवनपुरी स्थित नागणेची मंदिर,नत्थूसर गेट बाहर स्थित आशापुरा मंदिर,गायत्री मंदिर,जूनागढ़ स्थित दुर्गा म ंदिर,सुजानदेसर स्थित काली मंदिर,जयपुर रोड़ स्थित वैष्णोधाम,त्रिपुरा सुन्दरी मंदिर सहित अनेक देवी मंदिरों में भी दिन रात पूजन होंगे। मंदिरों में रंग बिरंगी सजावट की तैयारियां अंतिम दौर में रहीं।
पूजन सामग्री से सजा बाजार
नवरात्र के दौरान श्रद्धालु नौ दिनों तक देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। देवी की आराधना के लिए काम में लिए जाने वाली चुनरी, नारियल, प्रसाद, धूप, अगरबत्ती, घी आदि सामान से शहर की दुकानें सजी हुई है।
इस वर्ष का राजा है सूर्य
वासंतिक नवरात्र के साथ ही नूतन संवत्सर का आरंभ होता है। रविवार को नव संवत्सर शुरू होने से इस वर्ष का राजा सूर्य है। कन्या लग्न में नवरात्र और नव वर्ष का प्रारंभ होना कई सुयोग बना रहा है। आठ दिन का नवरात्र रविवार को ही पूर्ण हो रहा है। गज पर सवार होकर आ रही माता हाथी पर विदा भी होंगी। ये संयोग व्रत को और भी मंगलकारी बना रहा है। नव संवत्सर की कुंडली के सप्तम भाव में स्थित सूर्य, चंद्र, बुध और शुक्र की युति से भद्र नामक योग बन रहा है। ये कल्याणकारी फल देने वाला होता है। इन सभी सुयोगों के मिलने के कारण यह नवरात्र और नव संवत्सर विश्व के लिए कल्याणकारी होगा। हालांकि, मंगल और शनि की युति राजनीतिक उथल-पुथल के संकेत दे रही है। भद्र योग के चलते इस वर्ष रुके हुए मांगलिक क ार्य होंगे। वर्षा अधिक होगी, जिससे फसलें अच्छी होंगी। महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा। व्यापार से जुड़े लोगों को लाभ होगा। यह नव संवत्सर देश को आर्थिक तरक्की की राह पर लेकर जाएगा।
कन्या लग्न में संवत्सर प्रारंभ होने और वर्ष की कुंडली के चतुर्थ भाव में मंगल व शनि की युति का प्रभाव राजनीतिक जगत पर पड़ेगा। पार्टियों में विघटन की स्थिति पैदा हो सकती है। इससे बचने के लिए राजनेता नवरात्र में भगवती उपासना के दौरान 'ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे’का जाप कर सकते हैं।
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