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लो जी अब गंगा और यमुना के प्रदूषण की निगरानी का काम जिम्मा रोबोट पर

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नेशनल। सरकार की लाख कोशिशओं के बाद भी गंगा, यमुना सहित देश की विभिन्न नदियों में प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं हो रही है। इसके बाद अब सरकार ने सतत निगरानी के लिए रोबोट की मदद लेने जा रही है। इस कार्य में इसतरह के रोबोट का इस्तेमाल किया जाएगा, जो नदी के अंदर रहकर एक बार में 10 किलोमीटर तक के दायरे के विभिन्न नमूने एकत्रित कर और सेटेलाइट के माध्यम से निगरानी केंद्र को नमूने भेज सकते है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर इसतहर के अत्याधुनिक रोबोट बनाने में जुट गया है। यह जिम्मा उस केंद्र सरकार ने सौंपा है। इसमें संस्थान के अर्थ साइंस, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और एयरो स्पेस विभाग मिलकर काम कर रहे है। इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे विशेषज्ञों की मानें तो रोबोट की डिजाइन बतख की तरह होगी। इसका 80 फीसदी से अधिक हिस्सा पानी में डूबा रहेगा। 

रोबोट पूरी तरह ऑटोमैटिक होंगे और सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। यह रोबोट न केवल नदी के पानी से विभिन्न नमूनों को एकत्र करेगा, बल्कि उसी समय इन नमूनों के आधार पर डॉटा तैयार कर पूरी रिपोर्ट सैटेलाइट के जरिये निगरानी केंद्र को भेज देगा। रोबोट में इस्तेमाल होने वाले सभी उपकरण व सेंसर वाटरप्रूफ होंगे। आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.बिशाख भट्टाचार्य,अर्थ साइंस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.इंद्र शेखर सेन,इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.केतन राजावत और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो.मंगल कोठारी इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

रोबोट पानी के अंदर सभी तरह के प्रदूषण की रिपोर्ट जारी करने में सक्षम रहेगा। इसमें हैवी मैटल्स (भारी धातु) क्रोमियम, आर्सेनिक आदि शामिल हैं। इसके अलावा पीएच वैल्यू,रंग, बीओडी लेवल, डिसाल्वड ऑक्सीजन, वॉटर वेलोसिटी आदि का भी पता चल सकेगा। निगरानी केंद्र द्वारा इन आंकड़ों की रिपोर्ट ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी, जिसके लिए एक पोर्टल भी बनाया जाना है।अधिकारियों की मानें तो एक रोबोट की कीमत 15 लाख रुपए से अधिक होगी। केंद्र की ओर से फिलहाल 10 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट आईआईटी को दिया गया है। इसमें से छह करोड़ की राशि स्वीकृत की जा चुकी है। रोबोट का पहला व्यावहारिक परीक्षण गंगा बैराज के पास किया जाएगा।

जल संसाधन मंत्रालय ने 17 रोबोट का खाका तैयार किया है। इनमें से दो दिल्ली और दो उत्तराखंड में लगाए जाएंगे। इन्हें टेनरी,कागज,शुगर,मेटल वेयर आदि औद्योगिक शहरों से गुजरने वाली नदियों पर लगाया जाएगा। यह नदियां कहीं न कहीं गंगा नदी में जाकर मिलती हैं। गंगा और अन्य नदियों की ऑनलाइन मॉनिर्टंरग के लिए खास तरह के रोबोट तैयार किए जाएंगे। 

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