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हनुमानगढ़:-ये क्या!भूल या ना-समझी!"थे फिक्र ना करो जनता आपा ने रड़क में वोट देसी"


कांग्रेस के कुछ नेताओ ने शहर में जिंदा रखा पार्टी को

जनता से मिलना नहीं लेकिन वोट उन्ही से चाहिए!

कांग्रेस का हनुमानगढ़ में कैसे होगा बेड़ा पार...!

हनुमानगढ़।(कुलदीप शर्मा) शहर में कांग्रेस पार्टी द्वारा आयोजित कार्यक्रम की चर्चा शहर भर में हो रही है। आपको जानकारी के लिए बता दे कल बुधवार को शहर में कांग्रेसी पार्टी द्वारा मेरा-बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में काफी कुछ घटित भी हुआ जिसकी चर्चा शहर में अभी भी हो रही है। कांग्रेस के उच्च अधिकारियों के सामने कुछ कार्यकर्ता व नेता बिफरे भी सही लेकिन उसका जवाब देते हुए कांग्रेस सांसद रघु शर्मा ने फटकार भी लगाई जिसका वीडियो भी काफी चर्चा में रहा! कांग्रेस मेरा बूथ मेरा गौरव कार्यक्रम के तहत एक तरह से शक्ति प्रदर्शन करने का सिस्टम भी माना जा रहा है। लेकिन कल कांग्रेस के बहुत ही कम जनो ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया और जिन्होंने हिस्सा लिया वो शायद खास उत्साहित नहीं थे!

किसके भरोसे लड़ेंगे चुनाव...!
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शहर में चुनावो की सरगर्मी भी तेज हो चुकी है। कल भी कांग्रेस के सम्मेलन में वो दिग्गज नेता भी पहुंचे थे जिन नेताओ को जनता ने सर आंखों पर बैठा कर कई बार मौका दिया था! लेकिन वो नेता पिछले चार साल में फील्ड में कम ही नजर आये है जिसका खामियाजा शायद चुनावो में भुगतना पड़ सकता है! जनता कब किसको राजा बना दे व किसको पटखनी दे दे वो सभी वोटर के हाथ मे होता है। ये हक़ीक़त ही है कि कांग्रेस के कुछ संघर्षशील नेताओ को छोड़कर बाकी सभी कभी जनता के बीच कभी नजर नहीं आये है। अब जब चुनावी टिकटों की चर्चा होनी शुरू हुई और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का हनुमानगढ़ आना हुआ तो वो सभी नेता व कार्यकर्ता पहुंच गए जिनका पिछले चार सालों में कांग्रेस पार्टी के लिए शायद ही कोई योगदान रहा हो परन्तु इसमे भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने भी किसी समय मे कांग्रेस को कोई योगदान दिया होगा!



एक को मानते टिकट का दावेदार जिससे भी पड़ा असर!
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कांग्रेस में जिला मुख्यालय पर एक ही कोंग्रेसी व्यक्ति को टिकट का दावेदार सभी मानते आ रहे हैं! साथ ही हर कार्यकर्ता व पदाधिकारी को ये भरोसा ही है कि टिकट वहां से कहीं जाने वाली नहीं है और ना ही पार्टी किसी अन्य पर दांव खेलने वाली है। यहीं कारण है कि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पिछले चार सालों से अपने घर से बाहर झांक कर भी नहीं देखा कि आखिर शहर में क्या चल रहा है! उस कांग्रेसी की सेटिंग कहे या पार्टी के आंखों पर पटी पड़ी कहे उसके सिवा कांग्रेस आजतक कोई शायद ढूंढ ही नहीं पा रही है। शायद ये ही कारण रहा होगा जिसकी वजह से कांग्रेस पार्टी के लिए संघर्ष छोड़ कर आराम से अपने जेब मे सिम्बल रखने के सपने लेने में कोई गुरेज नहीं करते हैं! शायद देश की इतनी बड़ी पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस ने धरातल पर अभी तक हनुमानगढ़ के लिए कुछ सोचा ही नहीं होगा! खैर इतना तो तय है जनता का अंधविस्वास या कार्यकर्ताओ का अनचाहा प्रेम और पार्टी का आंख पर पटी बांध कर एक ही व्यक्ति पर विस्वास करना,उन सभी कार्यकर्ताओं व नेताओ की तौहीन है जो पिछले काफी वर्षो से कांग्रेस पार्टी की नींव को बड़ी मेहनत से सींच रहे है! खैर जब तक उस कांग्रेसी को टिकट छिनने का डर नहीं होगा तब तक शायद वो कांग्रेस पार्टी के लिए सही तरीके से काम नहीं कर पाएंगे!



भूल या नासमझी! आपा ने तो रड़क म्हे वोट मिलसी
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सूत्रों की माने तो कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं व कार्यकर्ताओं को इस बात की आशंका बनी हुई है कि अबकी बार तो जनता रड़क म्हे वोट देसी! लेकिन राजस्थान का इतिहास उठाकर देखे तो जनता ने आजतक समय आने पर विकास पुरुष कहे जाने वाले पार्टिधारियो को भी पटखनी दे दी थी तो शायद बिना जनता के कार्य किये इस प्रकार का अंदाजा लगा कर फील्ड में कार्य ना करना बहुत बड़ी भूल ही मानी जायेगी! जनता उसी को वोट देती है जो उनकी परवाह करता है। क्योंकि आज की जनता इतनी जागरूक हो चुकी है कि हर बात व जुमले को समझने लगी है। इसका ताजा उदारहण नरेंद्र मोदी को पीएम बनने से भी लिया जा सकता है। जनता जब किसी को सर पर बैठाती है तो क्या से क्या बना देती है लेकिन जब पटखनी देती है तो देश की सबसे बड़ी पार्टी कहे जानी वाली कांग्रेस को आज बहुत ही कम राज्यो में समेट कर रख दिया है। रड़क में वोट देसी को भूल समझो या नासमझी दोनो ही सूरत में ये जनता के कार्य ना करना करने की बड़ी गलती है जो आने वाले चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भुगतनी पड़ सकती है!



दिग्गजो के आगमन पर प्रेस वार्ता ना रखना शायद डर!
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कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के हनुमानगढ़ आगमन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित नहीं करना शायद डर ही कहेंगे! सूत्रों की माने तो इतने बड़े दिग्गज नेताओं के आगमन पर प्रेस वार्ता का आयोजन ना करने की वजह से सम्मेलन का असली मतलब आमजन तक सही नहीं पहुंच पाया है! हालांकि मीडिया ने अपनी अहम भूमिका निभाते हुए कार्यक्रम के बारे में खबरे प्रकाशित भी की है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं व कार्यकर्ताओं को डर था कि कहीं मीडिया प्रेस वार्ता के दौरान ऐसा कुछ ना पूछ लें जो उनके लिए कोई मुसीबत खड़ी कर देवे। ये तो जाहिर सी बात है कि मीडिया सवाल करती तो उन नेताओं व कार्यकर्ताओं को दिक्कत होती जो जनता के बीच मे कम तो दिग्गजो के सामने हाजरी लगाने ज्यादा पहुंच जाते हैं! अब जिले मुख्यालय पर टिकट को लेकर दौड़-धूप तो शुरू हो ही चुकी है अब देखने वाली बात रहेगी कि कांग्रेस पार्टी इन पर कितना भरोसा करती है तो वहीं जनता इनको किस तराजू में बैठाती है वो समय ही बता पायेगा। दिग्गज नेताओं को मीडिया से रूबरू ना करवा कर शायद कई सवालों को जरूर खड़ा कर लिया है!


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