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जीएसटी-एफडीआइ के खिलाफ व्यापारियों का 28 को भारत बंद


लखनऊ। देश के प्रमुख व्यापारिक संगठनों के साथ आते हुए प्रदेश के व्यापारियों ने भी 28 सितंबर को भारत बंद में शामिल होकर महानगरों से लेकर तहसील स्तर तक के बाजार, दुकानें और अन्य व्यापारिक स्थल बंद रखने का निर्णय लिया है। उनकी कुछ शिकायतें राज्य सरकार से हैैं, जबकि कई समस्याएं केंद्र सरकार से भी जुड़ी हैैं। राज्य सरकार को इसके लिए कई बार ज्ञापन दे चुके व्यापारियों ने अब अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र भेजा है।
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष व पूर्व सांसद बनवारीलाल कंछल ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि जीएसटी की कई दरें जहां व्यापारियों के लिए कठिनाई का सबब बन रही हैं, वहीं सिंगल ब्रांड में सौ फीसद एफडीआइ और निरंकुश ऑनलाइन ट्रेडिंग खुदरा व्यापारियों का कारोबार निगल रही है। आयकर की अघोषित सख्ती भी उन्हें परेशान कर रही है। आयकर छूट की सीमा उन्होंने पांच लाख रुपये और आयकर की धारा 80-सी में छूट की सीमा डेढ़ लाख से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये करने की मांग की है। राज्य सरकार से व्यापारियों की शिकायत मंडी शुल्क और वन विभाग के टैक्स को लेकर है। उनका कहना है कि जब जीएसटी लागू होने के बाद सब तरह टैक्स खत्म कर दिए गए हैं तो राज्य में दोनों टैक्स भी खत्म कर दिए जाने चाहिए।संगठन के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र मिश्र ने कहा कि बिहार में मंडी शुल्क खत्म हो चुका है, उत्तराखंड में केवल एक फीसद है, जबकि प्रदेश में 2.5 फीसद की दर से यह शुल्क वसूला जा रहा है। इसी तरह वन विभाग के सात फीसद टैक्स से गिट्टी व लकड़ी के कारोबारी त्रस्त हैं। प्रदेश में चैबीसों घंटे और साल के सभी दिन खुलने वाले शॉपिंग मॉल के लिए अलग कानून होने से भी खुदरा कारोबारियों का व्यापार लगातार गिर रहा है। जीएसटी की दरें केवल पांच व 16 फीसद करने के साथ लाखों रुपये जुर्माने की रकम 10 हजार रुपये तक सीमित करने और 50 साल पुराने सैंपलिंग के कानून को आज की स्थितियों के मुताबिक बनाने की भी मांग व्यापारियों ने की है। साथ ही व्यापारियों का दुर्घटना बीमा करने और उन्हें पेंशन देने के साथ खाद्यान्न व जरूरी वस्तुओं को वायदा कारोबार से बाहर करते हुए खाद्य कानून के मानक फिर से निर्धारित करने की भी मांग की गई है।

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