नई दिल्ली(जी.एन.एस) सार्वजनिक ढांचागत क्षेत्र के समूह इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशियल सर्विस लिमिटेड (आई.एल. एंड एफ.एस.) इन दिनों वित्तीय संकट से गुजर रही है। खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए कंपनी 4500 करोड़ रुपए की अपनी वित्तीय सेवा ईकाइयों और अतिरिक्त संपत्तियों को बेचने की योजना बना रही है। इसके अलावा कंपनी ने सरकार पर बकाया करीब 1600 करोड़ रुपए का भुगतान किए जाने का अनुरोध किया है, ताकि कंपनी को डूबने से बचाया जा सके। कंपनी के 3 अधिकारियों ने नाम नहीं छापे जाने के अनुरोध पर यह खुलासा कियाहै।
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कंपनी ने सरकार से अनुरोध किया है कि बढ़ते वित्तीय संकट और ऋण का भुगतान नहीं हो पाने की वजह से ब्याज व देनदारी का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में यदि कंपनी दिवालिया होती है तो इससे बुनियादी ढांचे को तो धक्का लगेगा ही साथ ही आर्थिक विकास पर भी असर पड़ सकता है। इससे बचने के लिए आई.एल. एंड एफ.एस. बोर्ड ने कुछ वित्तीय इकाइयों को बेचने का निर्णय लिया है, ताकि बाजार में तरलता को बनाए रखा जा सके।
कंपनी की डूबती नैया को पार लगाने के लिए आई.एल. एंड एफ.एस. ने एस.बी.आई. कैपिटल को भी हायर किया है ताकि इसके माध्यम से नए निवेशकों को कंपनी की ओर आकॢषत किया जा सके और वित्तीय संकट को दूर किया जा सके। जिसने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी का लाभ 99.6 करोड़ रुपए बताया गया है। एस.बी.आई. के एक प्रवक्ता के मुताबिक एस.बी.आई. कैपिटल कंपनी के लिए शेयरधारकों की तलाश में जुटी है। आई.एल. एंड एफ.एस. के मुताबिक कंपनी 584.32 करोड़ के मुनाफे में है जबकि कंपनी की कुछ हैसियत मौजूदा समय में 6950.19 करोड़ रुपए है, जो 121 भारतीय इकाइयों और 52 विदेशी सहायक कंपनियों का लाभांश है। आई.एल. एंड एफ.एस. में 12 भारतीय सहयोगी, 3 विदेशी सहयोगी, 36 भारतीय संयुक्त उद्यम और 6 विदेशी संयुक्त उपक्रम शामिल हैं।
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