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कृषि भवन जॉब रेकेट: भ्रष्टाचार- मोदी सरकार के द्वार….?


जहां से सरकार चलती है वह राजधानी दिल्ही का लुटेयंस इलाका सरकारी दफ्तरों से भरा पड़ा है। कृषि भवन भी इसी क्षेत्र में है और इस भवन में कई महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तर है। क्या कभी कल्पना की जा सकती है की सरकार में फर्जी नौकरियां देने के लिए बाकायदा सरकारी दफ्तर का इस्तेमाल हुवा हो? पैसे लेकर फर्जी जॉब देने के लिए ठगों की एक गेंग ने कृषि भवन में ही एक अफसर जो की छुट्टी पर था उसके कमरे में इन्टरव्यू लिए। जॉब अपोइंटमेंट लेटर दिए गये और करोडो रूपये लेकर फरार हो गये। फर्जी लेटर लेकर जब बेरोजगार युवा जॉब पर हाजिर होने गये तब जाकर भण्डाफोड़ हुवा। सरकारी दफ्तर में पैसे लेकर फर्जी इन्टरव्यू , फर्जी अफसर, फर्जी जॉब लेटर, सरकार के ही कुछ अफसरों की मिली भगत क्या यह भ्रष्टाचार नहीं है? क्या इसे मोदी सरकार की नाकामी और मोदी सरकार का भ्रष्टाचार नहीं कहा जा सकता? इसका उत्तर सरकारी प्रवक्ता या भाजपा के संबित पात्रा देते हुए कहेंगे की इसमें मोदीजी क्या करे? इतने बड़े सरकारी दफ्तरों में क्या हो रहा है उसका कहाँ कहां ध्यान देंगी सरकार? कानूनी तौर पर नहीं लेकिन मौलिकता के आधार पर तो इसकी जिम्मेवारी सरकार की बनती है।
सरकारी द्फ्तारो में निचले स्तर तक सब ठीकठाक तब चलता है जब सरकार के मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री ठीकठाक काम कर रहे हो। जैसे ही आला स्तर पर ढील दिखाई दी उसका प्रभाव धीरे धीरे नीचले स्तर तक पहुँचता है। हो सकता हे ओऊ है भी की कृषि भवन जॉब स्कैम में मोदी सीधे सीधे शामिल नहीं लेकिन सरकार के दफतरों और अफसरों में उनका कोई डर नहीं। वरना फेक जॉब रेकेट चलानेवालों की इतनी हिम्मत नहीं होती की वे कृषि भवन में बैठ कर सरकार के नाक के तले फेक इन्टरव्यू ले कर फेक जॉब लेटर नहीं बांटते। मानो कोई पूछनेवाला ही नहीं। कृषि भवन में आनेवाले किसान से कई सवाल किये जायेंगे लेकिन भ्रष्टाचार करनेवाले बड़े आराम से कृषि भवन में दिन भर बैठते है, एक के बाद एक बेरोजगार युवाओं का इन्टरव्यू लेते है, सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग होता है इन सब के बावजूद सरकार जिम्मेवार नहीं तो कौन जिम्मेवार कहा जाय ?

सरकारी दफ्तर का कोई कर्मी अच्छा काम करे तो सरकार अपनी वाह वाही लेती है। लेकिन उसी सरकार दफ्तर में इतना बड़ा जॉब स्कैम लेकिन सरकार जिम्मेवार नहीं। यह फेक जॉब इन्टरव्यू किसी चपरासी की नौकरी के लिए नहीं लेकिन सरकारी नवरत्न कम्पनियों में से एक ओएनजीसी में इंजिनियर के पद के लिए सरकारी दफ्तर में लिए गए थे। पुलिस ने सरकारी दफ्तर का गलत इस्तेमाल करने देने के लिए सरकारी कर्मियों समेत इस तरह का फेक जॉब स्कैम चलनेवालो में से कुछ को गिरफ्तार किया है। लेकिन यह जॉब स्कैम केंद्र सरकार के लिए धब्बानुमा है इससे इनकार नहीं किया जा सकता। अच्छाई अच्छाई मेरी, बुराई बुराई तेरी यह निति ठीक नहीं।

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