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नशा मुक्ति जन जागृति कार्यशाला का आयोजन ,नशा एक महाअभिशाप है :-डॉ. रविकान्त गोयल


श्रीगंगानगर। जिला पुलिस अधिक्षक योगेश यादव के निर्देशानुसार पुलिस प्रसाशन द्वारा स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के सहयोग से जिला स्तर पर चलाये जा रहे नशा मुक्ति अभियान के अंतर्गत 22 सितम्बर 2018 को संस्थान में पुलिस चौकी सेतिया कालोनी श्रीगंगानगर के सहयोग से नशा मुक्ति जन जागृति कार्यशाला का आयोजन किया गया ।
        कार्यक्रम में नशा मुक्ति विशेषज्ञ डॉ0 रविकान्त गोयल ने मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि नशा एक महाअभिशाप है, नशे की लत मुख्यतः अवयस्क किशोरों के लिए अत्यन्त घातक सिद्ध होती है विद्यार्थी इसकी वजह से पथ भ्रमित होकर अपना सारा शैक्षिक केरियर बरबाद कर बैठते है और शारीरिक ,मानसिक एवं आर्थिक रूप से भी पिछड रहे है। इसका प्रभाव से उनके स्वयं के जीवन के साथ-साथ उनके परिवार जनों एवं समाज पर भी विपरीत असर पडता है। डॉ0 गोयल ने नशों से बचने बचाने के उपाय बताते हुए उपस्थित जन समूह को जीवन भर नशा नहीं करने की शपथ दिलवाई ।
      इस अवसर पर पीएलवी इन्द्रमोहन सिंह जुनेजा ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन अनमोल है आज के अति प्रतिस्पर्धा के समय में नशों से दूर रहते हुए अध्ययनरत रहकर अपने शारीरिक विकास को भी योग एवं व्यायाम से उन्नत करें। पीएलवी सुनीता राजोरिया ने विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी देते हुए  नशे का मार्ग त्याग कर महापुरूषों, अपने गुरूजनों एवं माता पिता द्वारा बताये गये सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी ।
       सामाजिक कार्यकर्त्ता बनवारी लाल शर्मा ने नशे को अनेक रोगों की जड बताते हुए इसे अपने जीवन में स्थान नहीं देने की शिक्षा कविता पाठ के माध्यम से प्रदान की। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रधानाचार्य आर. के. टॉक ने विद्यार्थियों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि पुलिस प्रसाशन द्वारा चलाया जा रहा नशा मुक्ति अभियान एक सराहनीय एवं अनुकरणीय प्रयास है। जिसकी वर्तमान समय में सर्वाधिक आवश्यकता है। हम सबको इस अभियान से जुडकर समाज को नशामुक्त करने हेतु अपना यथायोग्य योगदान देना चाहिए ।
       कार्यक्रम का सफल मंच संचालन अजीत सोमानी प्रवक्ता भौतिकी ने किया तथा कार्यक्रम को सफल बनाने में परविन्द्र सिंह, भूपेन्द्र सिंह, पंकज जाखड, हुक्मीचंद, हनी मोर्य, गुंजन कुमार, बृजलाल सुथार, हरीचरण लाल एवं किशनलाल बिश्नोई  का मुख्य योगदान रहा। 

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