नई दिल्ली(जी.एन.एस) राफेल मुद्दे पर भारतीय राजनीति तेज हो गई हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान के बाद फ्रांस सरकार ने बताया कि वह राफेल फाइटर जेट डील के लिए भारतीय औद्योगिक भागीदारों को चुनने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। इस बात पर जोर देते हुए फ्रांस सरकार ने बताया कि भारत की अधिग्रहण प्रक्रिया में फ्रांसीसी कंपनियों को भारतीय कंपनियों के साझेदार चुनने की पूरी आजादी है। वे जिसे सबसे अच्छा मानती हैं, वे उसको चुन सकती हैं।
फ्रांस सरकार ने बताया कि 36 राफेल विमानों की आपूर्ति के लिए भारत के साथ किए गए अंतर-सरकारी समझौते से विमान की डिलीवरी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के सम्बंध में पूरी तरह से उसे अपने दायित्वों की चिंता है।आपको बताते जाए कि पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का बयान ने कहा कि राफेल डील के लिए भारत सरकार की ओर से अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस का नाम भेजा गया था और दसॉ एविएशन कंपनी के पास कोई और विकल्प नहीं आया था। ओलांद का यह बयान भारतीय राजनीति में गर्मी पैदा कर दी है। कांग्रेस पहले राफेल को लेकर सरकार पर आरोप लगा रही थी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने राफेल सौदे पर निजी तौर पर बातचीत की और बंद कमरे में सौदे को बदल दिया गया। फ्रांस्वा ओलांद के कारण हमें जानकारी मिली कि सरकार ने निजी तौर पर अरबों डॉलर का एक सौदा एक बैंकरप्ट को दे दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिवालिया हो चुके अनिल अंबानी के लिए बिलियन डॉलर्स की सोदे ने ऊंचा उठाने का काम किया ।
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