Advertisement

Advertisement

सचिन पायलट ने BJP पर किया Twitter हमला,लिखा "राजस्थान पाप की नगरी नहीं,ना है रावण की लंका"


जयपुर (जीएनएस)। प्रदेश में राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018अब काफी नजदीक हैं और जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं, वैसे वैसे सभी पार्टियों के आलाकमानों का आरोप प्रत्यारोप का दौर भी तेज होता जा रहा है। प्रदेश की दो प्रमुख बड़ी पार्टियों के बीच तो आए दिन सवाल जवाब के दौर के साथ ही सोशल मीडिया वॉर भी चर्चा में है। ताजा मामला है पीसीसी चीफ सचिन पायलट (PCC Chief Sachin Pilot) का, जिन्होंने अब बीजेपी पर Twitter हमला किया है। अपनी ट्व्टिर वॉल पर पायलट लिखते हैं—

‘न राजस्थान पाप की नगरी है,
न ही बीजेपी अंगद का पैर है।

ये रावण की लंका नहीं, राजस्थान संत और महात्माओं की धरती है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, बाबा रामदेवरा की पुण्य धरती पर अब धर्म के नाम पर नहीं कर्म के नाम पर राजनीति होगी। प्रदेश में सरकार की नाकामी का जवाब जनता देगी।’
इसके बाद सियासी दांव पेंच और चुनावी गहमा गहमी को तेज तो होना ही था। जैसा कि आप जानते हैं जयपुर में BJP National President Amit Shah बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी को अंगद का पैर बताया था। उन्होंने कहा था कि राजस्थान के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार अंगद का पांव है, उसे कोई उखाड़ नहीं सकता। राजस्थान की धरती वीरों की भूमि है, यहां का कार्यकर्ता समर्पित होकर काम करता है। मोदी जी ने जो वातावरण बनाया है उससे हमें बढ़त मिली है, अगर बूथ का कार्यकर्ता सक्रिय नहीं होगा तो सब व्यर्थ है।

मोदी जी के नेतृत्व में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी, कामरूप से लेकर कच्छ तक सब जगह भारतीय जनता पार्टी का भगवा झंडा लहराने का काम देश की महान जनता ने किया है। पिछड़ी जाति आयोग को संवैधानिक मान्यता देकर पिछड़ी जातियों के करोड़ों लोगों को सम्मान देने का काम भाजपा ने किया है। जनता ने किसी पार्टी को या किसी दल को पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मौका दिया तो वह भारतीय जनता पार्टी है। जब कोई कार्यकर्ता तन्मयता से कार्य करता है तो लोग कहते हैं, राणाप्रताप के चेतक की तरह विजयी है, ये चेतक की भूमि है, यहां भाजपा को कोई हरा नहीं सकता।

वहीं राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कई दफे राजे सरकार के खिलाफ सोशल मीडिया के साथ ही पत्रकारों के सम्मुख रोष जाहिर कर चुके हैं। जवाबी हमले में भारतीय जनता पार्टी भी पीछे नहीं रही है। सूबे की मुख्यमंत्री हों या फिर मंत्रिमंडल का कोई सदस्य, हमेशा बैकफायर के लिए तैयार रहते हैं। खैर, अब ये राजस्थान की जनता के विवेक का विषय है कि वे अपने नेता के रूप में किसे चुनते हैं। बहरहाल जहां तक हम देख पाए हैं जनता तो हर चुनावी साल में मझधार में ही झूलती नजर आई है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement