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भाजपा की निति-रीति : मै दिन को अगर रात कहू तो रात ही समजियो…!


भारतीय वायु सेना के मुखिया जब विवादी रफाल विमान का टेस्टिंग कर रहे थे तब जिस देश से भाजपा की मोदी सरकार ने यह विमान ख़रीदे है वह फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने शाब्दिक बम्ब फोड़ा की रफाल सौदे के लिए भारत सरकार ने ही अनिल अम्बानी की रिलायंस डिफेन्स कम्पनी के नाम का प्रस्ताव दिया था और फ़्रांस की यह विमान बनाने वाली कम्पनी दासू के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था। हो सकता है की जब यह खबर पीएमओ और रक्षा मंत्रालय के साथ अनिल अंबानी तक पहुंची होंगी तब सन्नाटा छा गया होंगा। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण बार बार और पीएमओ लगातार यह कहानी दोहराते रहे की भारत में रफाल विमान कौन बनाएंगा इसका निर्णय फ़्रांस की कंपनीने किया है। दो कम्पनियों के कारोबारी सौदे में सरकार की कोई भूमिका नहीं है। लेकिन फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने मोदी सरकार, अनिल अंबानी, निर्मलाजी को बेनकाब कर दिया। सरकार ने बस इतना ही कहा की उनके ब्यान की जांच की जा रही है।
भाजपा और सोश्यल मिडिया द्वारा हो सकता है की अब फ्रांस्वा ओलांद को झुटा साबित करने की मुहीम शुरू होंगी। उनकी छबि धूमिल करने की कोशिश की जायेंगी। ओलांद और कोंग्रेस के बीच गुप्त मुलाकात हुई थी जिसमे मोदी सरकार के खिलाफ साजिश रची गई, ओलांद मूल कोंग्रेसी ही है …ऐसी सब बाते यदि कही जाए दिन को रात नहीं होतो और रात को आप दिन नहीं कह सकते। ओलांद ने किस हालात में यह ब्यान दिया यह भी एक मुद्दा हो सकता है। लेकिन उनके ब्यान के बाद भारत की राजनीति में भूचाल आना वाजिब है। सरकारी कई एजंसिया यह पता लगा रही होंगी की राहुल ओर ओलांद के बीच कहाँ कब और कैसे मीटिंग हुई? सरकार अपना काम करे,एजंसिया अपना और सभी राजनितिक दल अपना अपना। लेकिन सच्चाई से मुह नहीं छुपाया जा सकता। सरकार जो अबतक छिपा रही थी वह बाते फ़्रांस की धरती से फूट कर आयी। कौन सच्चा कौन झुठ्ठा इसकी होड़ और दौड़ रफाल विमान की उड़ने की गति से भी ज्यादा तेज चलेंगी। अगले चुनाव में बोफोर्स की तरह रफाल विमान सौदा भी एक मुख्य चुनावी मुद्दा तय हो गया है।
भाजपा की निति रीति यह है की वह जो कहे वही सच बाकी सब गलत। लेकिन ऐसा अब शायद उनके वे कार्यकर्ताओं को भी पसंद न आये ओलांद के ब्यान के बाद जो अपने तरीके से पारी को देखते है। बाकी तो हाल यह है की दिन के उजाले में खड़े होकर कहे चलो बच्चों कहो दिन है या रात? और बच्चें हाथ उठाये आँखे मूंदे कहेंगे-घोर अँधेरी रात ….!! अपने तीखे तेवर दिख्नाने वाले मंत्रियो के लिए तो ओलांद का बयान पच नहीं रहा होंगा। रफाल सौदा अब ठन्डे बसते चला जा सकता है। अनिल अंबानीजी को शायद ओलांद के ब्यान के बाद मीठी चाय भी कड़वी लगी होंगी।

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