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सम्पादकीय:-हिन्दी है हम वतन है…… हिन्दोस्तां हमारा, सारे जहां से है अच्छी हिंदी हमारी


दुनिया के किसी मेले में या भारी भीड़ में आप फ़स चुके हो, आपकी भाषा कोई समझ नहीं सकता और आप उनकी भाषा नहीं समझ रहे। क्या करे क्या न करे, आप इधर उधर देख रहे है कुछ बोल भी रहे है मगर आपकी भाषा किसी के पल्ले नहीं पड रही, मायूस सा चहेरा, किसे कहे, कौन समझेंगा ऐसी विकट स्थिति में कोई पास आकर आपकी अपनी भाषा में आपसे कहे की क्या में आपकी कुछ सहायता कर सकता हु….तो आपको वह आदमी किसी भगवान से कम नहीं लगेगा। मानो जैसे जान में जान आ गई। आप तुरंत उसका तेजी से हाथ थामे कहते है की आपकी क्या दिक्कत है और आपको उसका हल या जो आप चाहते थे वह हो तब अपनी खुद की भाषा का महत्व समझ में आता है। आज हिन्दी दिवस है। और हिन्दी भाषा को लेकर क्या होना चाहिए उस पर विचार विमर्श भी हिन्दी में ही हो….!
भाषा का महत्व है यह और कोई नहीं लेकिन कांग्रेस के राहुल गाँधी समेत वे सभी नेता जानते है जो राष्ट्रभाषा हिन्दी में एक अच्छे वक्ता की तरह चुनावी सभा में लोगो को अटलजी की तरह मंत्रमुन्घ नहीं कर सकते। किसी महफ़िल में समा बाँधने के लिए लोगो के सर डोलने लगे ऐसा बोलना अनिवार्य है। अटलजी की जनसभा में मानव सैलाब उमड़ पड़ता था उसकी एक ही वजह के वे हिन्दी में इतना धारदार भाषण करते थे की उन्हें सुनने के लिए कई लोग घंटो तक सभा में उनका इन्तेजार करते थे और सभा मे आने के बाद जैसे ही अटलजी हिन्दी में अपनी शैली में बोलना शुरू करते थे तो लोग तालिया बजाते नहीं थकते थे। ये था भाषा का कमाल। आज भी चुनावी जनसभा में हिन्दी में अच्छा भाषण देनेवालो की हमेशा जरुरत पड़ती है। अपनी भाषा तो फिर अपनी ही है तो क्यों न हम हिन्दी को अपनाये, हिन्दी में बात करे, हैप्पी हिन्दी डे की बजाय हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं…ऐसा नहीं कह सकते क्या?

भारत में कहने को तो हिन्दी राष्ट्रभाषा है। लेकिन दक्षिण भारत के राज्यों में हिन्दी को आज भी अछूत गिनी जाती है।बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है की उस राज्यों के कई लोग हिन्दी जानते हुवे भी किसी प्रवासी या उनसे हिन्दी में बात कर कुछ पूछना चाह रहे हिन्दी भाषी व्यक्ति से हिन्दी में बात नहीं करते। वे अपनी तमिल,कन्नड़,मलयालमी या फिरंगियो की भाषा में जवाब देंगे मगर हिन्दी में नहीं। इस तरह का बर्ताव देश को एक धागे में पिरोने से रोकता है। हमें किसी एक भाषा को राष्ट्र भाषा के तौर पर स्वीकारना ही होंगा। वरना हम नदियों के जल के बंटवारे की तरह भाषा के बंटवारे में ही उलझ कर रह जायेंगे। आओ हिन्दी दिवस पर कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कोलकता तक बड़े सुमधुर आवाज में गर्व से कहे-हिन्दी है हम…हिन्दी है हम,वतन है हिन्दोस्तां हमारा……! हिन्दी दिवस पर सभी हिन्दी पाठकों को हिन्दी को आगे बढ़ाने के लिए शुभकामनाएं।

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