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“राफेल के चक्रव्यूह में फंसा पिजड़े का तोता”


सीबीआई के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सीबीआई के दो शीर्ष अधिकारियों को सरकार ने जबरन छुटी पर भेज दिया है। मामला इतना गंभीर हो चुका है कि सरकार को सीबीआई मुख्यालय नई दिल्ली को सील करना पड़ा। यह मामला जितना सरल दिखाई दे रहा है उतना है नहीं। दरअसल सूत्र और विपक्षी पार्टियों के मुताबिक सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा को राफेल के खिलाफ कुछ दस्तावेज मिले थे, जिन पर सीबीआई निदेशक ने कार्रवाई का मन बना चुके थे। इसकी भनक सीबीआई में नंबर दो पर रहे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को लगी।

सूत्र और विपक्षी दलों के नेताओं की माने तो राकेश अस्थाना गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। जिन पर प्रधानमंत्री भी काफी भरोशा करते हैं। बस यहीं से कूटनीतिक चक्रव्यूह का ऐसा ताना बाना बुनना शुरू हुआ कि सीबीआई के शीर्ष अधिकारी खुद लपेटे में आते चले गए। इस बीच भाजपा के दो शीर्ष नेताओं यशवंत सिन्हा, अरूण शौरी और सर्वोच्च न्यायालय के जाने माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा से राफेल की जांच करने के लिए कहा था। सीबीआई निदेशक को कुछ दस्तावेज भी मुहैय्या कराया था। सूत्र कहते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा सीबीआई निदेशक से राफेल मुद्दे से दूर रहने के लिए कहा गया था।

इसके बावजूद छुट्टी पर भेजे गए सीबीआई के निदेशक अलोक वर्मा ने राफेल की जांच करने का मन बनाया हुआ था। यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय को पता चली। उसके बाद ऐसा ताना बाना बुना गया कि राफेल की जांच करने का मन बना चुके अलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को आपस में लड़वाकर कहीं का नहीं छोड़ा गया। और दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। सूत्र कहते हैं इन सबके पीछे सिर्फ राफेल का खेल था। विपक्षी पार्टियों द्वारा कहा जा रहा है कि सीबीआई निदेशक ने राफेल पर सवाल उठाया था और सरकार से कागजात उपलब्ध कराए जाने की मांग की थी।
इसके बाद ही एक चक्रव्यूह का निर्माण किया गया। जिसका परिणाम सामने दिख रहा है। इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के वकील प्रशांत भूषण ने कहा “’राफेल डील की जांच सीबीआई नहीं कर सके, इसलिए शायद सीबीआई डायरेक्टर को हटाया गया है। हमने (प्रशांत भूषण), यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने सीबीआई डायरेक्टर से राफेल डील की जांच की मांग की थी। सीबीआई डायरेक्टर ने राफेल डील से जुड़ी कुछ फाइलें सरकार से मांगी थी।’ यही कारण है कि सीबीआई में इतना बड़ा गेम प्लान किया गया है।

पहले मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में कथित घूस लेने के आरोपों पर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया। जिसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई के मुखिया आलोक वर्मा पर भी दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगा दिया। कहा जा रहा है कि दोनों शीर्ष अफसरो के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठते सवालों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर यह कार्रवाई हुई है।

कहा जा रहा है कि मामले में सुलह की कोशिशों में लगी सरकार ने केंद्रीय सर्तकता आयुक्त (सीवीसी) की सिफारिश मिलने के बाद बेहद सख्त फैसला करते हुए सीबीआई चीफ आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना, दोनों को ही छुट्टी पर भेजा। सूत्र बताते हैं कि यह गेम प्लान की पटकथा है। यानि पिजड़े का तोता राफेल के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस गया है।

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