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चुनाव कार्य से बचने के लिये अनफिट का प्रमाण पत्र लेना पडेगा महंगा


मेडिकल बोर्ड प्रमाण पत्र सीधे कार्मिक को न देकर आरओ को भेजेः- जिला निर्वाचन अधिकारी
श्रीगंगानगर। जिला कलक्टर ज्ञानाराम ने प्रमुख चिकित्सा अधिकारी राजकीय चिकित्सालय श्रीगंगानगर को पत्रा लिखकर मेडिकल बोर्ड द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के बारे में स्पष्टीकरण चाहा है। उन्होंने लिखा है कि आम चुनाव 2018 के दौरान प्रतिनियुक्त राजकीय कार्मिकों के लिये अस्वस्थता के कारण चुनाव डयूटी से मुक्ति चाहते है, के स्वास्थ्य परीक्षण के लिये मेडिकल बोर्ड के गठन के लिये निर्देश दिये गये थे। जिसकी पालना में 11 अक्टूबर को मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। पूर्व में भेजे पत्र में स्पष्ट निर्देशित किया गया था कि निर्वाचन कार्य हेतु गठित प्रकोष्ठों द्वारा भिजवाये गये आवेदनों के आधार पर ही कार्मिकों के स्वास्थ्य का परीक्षण कर रिपोर्ट दी जानी है। परन्तु जिला चिकित्सालय द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्रा की प्रति जांच के लिये भिजवाई जा रही है, जिसकी तीन दिवस में बिन्दुवार जांच कर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करना सुनिश्चित करेगें।
उन्होंने बताया कि जिला निर्वाचन कार्यालय, अधीनस्थ प्रकोष्ठ के अग्रेषित किये बिना उक्त प्रमाण पत्रा किस आधार पर तैयार किया गया। कोई भी स्वास्थ्य प्रमाण पत्रा विधिवत रूप से कार्यालय के लेटर हैड पर जारी होने चाहिए। उस पर कार्यालय के प्रेषण पंजीका के नम्बर व दिनांक अंकित होने चाहिए। परन्तु उक्त प्रमाण पत्रा एक सादे रजिस्टर के पेज पर जारी किया गया है। जिस पर कार्यालय का नाम, डिस्पेच संख्या, दिनांक, मरीज का पंजीयन संख्या अंकित नही है। यह प्रमाण पत्र किन परिस्थितियों में जारी किया गया। जारी करने वाले अधिकारी के नाम हस्ताक्षर के नीचे अंकित नही है। कार्मिक किस रोग से पीडित है, उन्हें कितने दिन विश्राम की आवश्यकता है। राजकीय डयूटी के लिये योग्य है या नही है। चुनाव से डयूटी मुक्त किये जाने की अभिशंषा किस नियम के तहत की गई। कार्यालय द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्रा पर कार्मिक की आईडी व फोटो लगाने के निर्देश थे, जिसकी पालना नही की गई। नियमानुसार चिकित्सा प्रमाण पत्रा संबंधित कार्यालय व रिटर्निंग अधिकारी को भिजवाया जाना था एवं उसके स्थान पर सीधे कार्मिक को क्यों उपलब्ध करवाई गई। जिन कार्मिकों ने जानबूझकर, चुनाव कार्य नही करने की नियत से जो अस्वस्थ होने का प्रमाण पत्रा दिये है, ऐसे कार्मिकों को राजकीय सेवा से अयोग्य घोषित करने पर भी विचार किया जा रहा है। 

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