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बूंदी 'नैनवा' में घटित साम्प्रदायिक तनाव सुनुयोजित और प्रायोजित होने की बड़ी आशंका, सोशल मीडिया में जमकर आईपीएस पंकज चौधरी के चर्चे


राजस्थान न्यूज़ । बहुचर्चित आईपीएस ऑफिसर पंकज चौधरी को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया में फिर से चर्चाओं का दौर शुरू हो गया हैं तो वहीं अपनी दबंग छवि के चलते कई बार ट्रांसफर के दंश झेलने वाले दबंग पंकज चौधरी ने अपना काम हुबहू जारी रखा हैं । वहीं मीडिया में हर रोज अपनी इमानदार छवि के चलते चर्चित भी रहते हैं अब एक बार फिर से 12 सितम्बर में बूंदी के नैनवा में घटित काण्ड को लेकर चर्चा हुई हैं जिसमे आईपीएस पंकज चौधरी के पक्ष में कुछ यूँ ट्रेड चल रहा हैं जिसका हिस्सा नीचे आपको दिखाया गया हैं ।


नैनवा ( बुदीं ) चार्जशीट 
        साम्प्रदायिक तनाव 
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           संक्षिप्त ब्रीफ़ 
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१.  12 सितम्बर 2014 नैनवा  में घटित साम्प्रदायिक तनाव की घटना सुनियोजित एंव प्रायोजित थी ।

२. शुक्रवार का दिन था ।मुस्लिम भाई नमाज़ के लिए स्थानीय मस्जिद में  बडी तादात मे आते है । उस दिन पुलिस अधीक्षक  कार्यालय में प्रत्येक माह होने वाली जिले की क्राइम मीटिगं थी । जो पन्द्रह दिन पहले से तय था । 

३. नैनवा संवेदनशील रहा है। पंचायती चुनाव निकट था इसको लेकर साजिश करने वालों ने १२ सितम्बर को चुना था । 

४. बुदीं से नैनवा तीन घंटे की दुरी पर है । कुल दुरी लगभग 70 किमी । अपराधियो एंव षड्यन्त्र करने वालों को पता था कि बुदीं से नैनवा फ़ोर्स आने में समय लगेगा । क्राइम मीटिंग में जिले के शीर्ष अधिकारी बुदीं मुखयालय पर व्यस्त रहेंगे । 

५. वर्ष 2012 मार्च माह में नैनवा में कांग्रेस सरकार के समय साजिश करने वालों ने एक मज़ार एंव अन्य तोड़फोड़ किया था । इसका मुख्य अभियुक्त सीताराम था जिसका अन्य आठ लोगो के साथ चालान हुआ था । वर्ष 2013 दिसम्बर बीजेपी सरकार राज्य में बनी । ये सारे अभियुक्त हिदुं संगठनों से जुड़े थे । 

६. 12 सितम्बर 2014 को पुन: सीताराम एंव अन्य ने साजिश के तहत साम्प्रदायिक दंगा कराना चाहा जिसे समय रहते पुलिस ने सख़्ती करते हुये रोक दिया ।

७. पुलिस अधीक्षक पंकज चौँधरी ने निर्दोष मुस्लिमों पर करवाई से इनकार कर दिया । अपराधियों पर तीन मुक़दमे दर्ज हुये और जेल भेजे गये । इनको बाहर निकालने के लिए घटना के चार दिन बाद ही एसपी पर दबाव बनाये जाने लगा जिसमें शीर्ष पुलिस अधिकारियों , शासन सचिवालय के एक सीनियर आईएएस की मुख्य भुमिका थी । कुछ जनप्रतिनिधिओं ने भी दबाव बनाते हुये इनको अपना कार्यकर्ता बताते हुये तत्काल छोड़ने के लिए एसपी पर दबाव बनाया था । 

८. अपराधियों को बाहर निकालने में सफल न होने पर अंतत: पुलिस अधीक्षक पंकज चौँधरी के पहले एपीओ फिर दिल्ली तबादला फिर घटना के लगभग एक वर्ष बाद 21.09.15 को चार्जशीट दी गयी और अंत में लापरवाही मानते हुये केन्द्र को राज्य सरकार ने अनुशसां कर दी । 

९. इस चार्जशीट का बचाव करने के लिए दो अन्य चार्जशीट राज्य सरकार की अनुशंसा पर पंकज चौधरी को थोपी गयी । 


१०. पंकज चौधरी ने राज्य के भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है ।प्रधानमंत्री जी एंव महामहिम राष्ट्रपति को भी निवेदन किया ।


सोशल मीडिया में चल रहे इन तथ्यों पर नजर घुमाये तो मामला काफी संगीन लग रहा हैं तो वहीं काफी लोगो पर उंगलिया भी उठाना लाज़मी हैं । इस तथ्यों या बातो में कितनी सच्चाई हैं ये तो शायद इमानदार जांच के बाद ही पता चलेगा । लेकिन इतना तय हैं की काफी समय से दबंग आईपीएस अपने क्षेत्र में भृष्टाचार के खिलाफ जमकर हल्ला बोल रहा हैं तो टाइगर के नाम से भी मशहूर हैं ।

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