नई दिल्ली(जी.एन.एस) भारत 60 फीसदी बल्क दवा चीन से आयात करता है। चीन ने अब इसका निर्यात धीरे-धीरे घटाना शुरू कर दिया है, जिससे देश में दवाओं की किल्लत हो सकती है। देश के मेडिकल स्टोर्स पर विटामिन-सी की दवाओं को छोड़कर फिलहाल अन्य दवाओं की कमी तो नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही एंटीबायोटिक, स्टेरॉयड और अन्य दवाओं का मिलना मुश्किल हो सकता है। चीन की कंपनियां अपने संयंत्रों को अपडेट कर रही हैं,
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इससे दवाओं का उत्पादन नहीं हो पा रहा है। कुछ दवाओं का उत्पादन पर्यावरण सुरक्षा को लेकर भी बंद किया जा रहा है।
वहीं, बल्क दवाओं को बनाने वाली सामग्री (एपीआई) भारत में उपलब्ध न होने के कारण भी इनकी बिक्री में गिरावट आई है। मेडिकल उद्योग के जानकारों का कहना है कि अगर स्थिति में सुधार नहीं आया तो देश में दवाओं में कमी आ सकती है और यह परेशानी का सबब बन सकता है। मेडिकल उद्योग से संबंधित कुछ लोगों का यह भी कहना है कि बल्क दवाओं का स्टॉक भी खत्म हो रहा है और इसकी बिक्री शायद जल्द ही बंद करनी पड़े।
भारतीय दवा निर्माता कंपनियों के संगठन आईडीएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपनाथ राय चौधरी ने कहा कि इस संबध में सरकार को जानकारी दे दी गई है। यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा का सवाल है। आईडीएमए ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह बल्क दवा निर्माताओं को उत्पाद मिश्रण में बदलाव की अनुमति दे।
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