श्रीगंगानगर,। सहायक औषधि नियंत्रक विभाग द्वारा मोहम्मद बक्श उर्फ शहनशाह तथा यासिन उर्फ लडडू, निवासी गांव सरदारगढ़, तहसील सूरतगढ़ से नशे में दुरूपयोग होने वाली शैडयूल एच-1 औषधियों को बिना ड्रग लाईसेन्स व बिना क्रय बिल अवैध रूप से संग्रहित किये जाने पर औषधि नियंत्रक अधिकारी श्री पंकज जोशी द्वारा जांच हेतु नमूने लेकर शेष स्टाॅक जब्त किया गया था, के प्रकरण में जांच पूर्ण कर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत माननीय न्यायालय सीजेएम श्रीगंगानगर में व्यक्तियों के विरूद्ध इस्तगासा दायर किया गया। सहायक औषधि नियंत्रक श्री डी.एस.उप्पल ने बताया कि माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण को दर्ज कर प्रंसज्ञान लेकर अभियुक्त को तलब करने के आदेश जारी किये हैं। बिना ड्रग लाईसेन्स औषधियों के प्रकरणों में कम से कम तीन वर्ष व अधिकतम पांच वर्ष की सजा तथा कम से कम एक लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
इसी प्रकार बलवन्त राम पुत्र श्री रामधन, निवासी गांव नूरपुरा ढ़ाणी तहसील सादुलशहर से नशे में दुरूपयोग होने वाली शैडयूल एच-1 औषधियों को बिना ड्रग लाईसेन्स व बिना क्रय बिल अवैध रूप से संग्रहित किये जाने पर औषधि नियंत्रक अधिकारी श्री पंकज जोशी द्वारा जांच हेतु नमूने लेकर शेष स्टाॅक जब्त किया गया था, के प्रकरण में जांच पूर्ण कर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत माननीय न्यायालय सीजेएम श्रीगंगानगर में व्यक्ति के विरूद्ध इस्तगासा दायर किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण को दर्ज कर प्रंसज्ञान लेकर अभियुक्त को तलब करने के आदेश जारी किये हैं। बिना ड्रग लाईसेन्स औषधियों के प्रकरणों में कम से कम तीन वर्ष व अधिकतम पांच वर्ष की सजा तथा कम से कम एक लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।इसी प्रकार मोहन अग्रवाल पुत्र श्री जगदीश प्रसाद अग्रवाल निवासी श्रीगंगानगर से शैडयूल एच-1 व एच तथा अन्य औषधियों को बिना ड्रग लाईसेन्स व बिना क्रय बिल अवैध रूप से संग्रहित किये जाने पर औषधि नियंत्रक अधिकारी श्री पंकज जोशी द्वारा जांच हेतु नमूने लेकर शेष स्टाॅक जब्त किया गया था, के प्रकरण में जांच पूर्ण कर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत माननीय न्यायालय सीजेएम श्रीगंगानगर में व्यक्ति के विरूद्ध इस्तगासा दायर किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा प्रकरण को दर्ज कर प्रंसज्ञान लेकर अभियुक्त को तलब करने के आदेश जारी किये हैं। बिना ड्रग लाईसेन्स औषधियों के प्रकरणों में कम से कम तीन वर्ष व अधिकतम पांच वर्ष की सजा तथा कम से कम एक लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
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