हनुमानगढ़। भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण द्वारा तृतीय पक्षकार व स्वास्थ्य बीमा के लिए मनमानी पूर्वक बढ़ाई गई अत्याधिक प्रीमियम राशि के विरोध में आम नागरिको ने गुरुवार प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन अतिरिक्त जिला कलक्टर को सौंपा।ज्ञापन में बताया गया है कि भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण द्वारा वाहनों व स्वास्थ्य बीमा की दरों में प्रतिवर्ष अत्याधिक वृद्धि की जा रही है । इस वर्ष के लिए प्राधिकरण द्वारा निर्धारित प्रीमियम राशि पर सामान्य एवं स्वरोजगार हेतु वाहन चलाने वाले वाहन मालिकों एवं संचालकों के द्वारा वाहनों का बीमा करवाना अत्याधिक महंगा होने के कारण बीमा करवाना असंभव हो रहा है। क्योंकि बीमा की अत्याधिक प्रीमियम राशि होने के कारण लोग वाहनों का और स्वास्थ्य बीमा करवाने में असक्षम हो रहे हैं और नये वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल 2017 से अत्याधिक प्रीमियम वृद्धि होने के कारण आम नागरिकों का वाहनों और स्वास्थ्य बीमा करवाने में रूझान नजर नहीं आ रहा है और अगर बीमा नहीं हो पायेगा तो इससे जोखिम बढ़ेगा जो कि राष्ट्रहित मे नहीं है और इससे सरकार को सेवा शुल्क मिलने में भी कमी आयेगी जिससे सरकार को राजस्व घाटा भी होगा।उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री द्वारा जन-धन योजना के तहत ’’जन-धन से जन सुरक्षा तक’’ प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना व प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अन्तर्गत क्रमशः 12 रूपये व 330 रूपये वार्षिक प्रीमियम भरने में भी जनता का कहीं रूझान नजर नहीं आ रहा जिससे पता चलता है कि जनता की इन योजनाओं में भी जितनी भागीदारी होनी चाहिए थी वह नहीं हो पा रही। ऐसी स्थिति में जब जनता इतने मामूली प्रीमियम को ही नहीं भर पा रही तो फिर एक वाहन चालक कैसे हजारों रूपये का प्रीमियम भरने में सक्षम हो पायेगा। इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि वाहन और स्वास्थ्य बीमा की प्रीमियम दरें इतनी ज्यादा हैं कि एक आम भारतीय इसको भरने में सक्षम नहीं है और इससे देश के राजस्व को घाटा तो हो ही रहा है साथ ही साथ जोखिम दर भी बढ़ रही है। सन् 1976 से पूर्व बीमा क्लेम आयु के आधार पर मिलता था मगर वर्तमान में क्लेम देने के लिए आयु और आय को देखा जाता है जिससे
गरीब और मध्यम वर्ग को इससे फायदा नहीं हो पा रहा है जबकि बीमा क्लेम देने के लिए सिर्फ आयु ही आधार होना चाहिए। इसके अलावा मोटर वाहन दुर्घटना अधिनियम में दर्ज मुकदमों के अन्तर्गत दर्ज प्रकरणों में न्यायालयों में अधिवक्ताओं द्वारा 10 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक क्लेम राशि का हिस्सा फीस के तौर पर लिया जा रहा है जो किसी भी सूरत में सहीं नहीं कहा जा सकता। इससे आम नागरिक को मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि उसको मिल ही नहीं पाती जबकि उसका इस पर एकमात्र अधिकार आम नागरिक का ही होना चाहिए। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा के अन्तर्गत यूनिफॉर्म पॉलिसी लागू की जानी चाहिए जिससे कि सभी कम्पनियों के प्रीमियम समान हों। इसके
अलावा चिकित्सालयों में भी सभी प्रकार के ईलाज की दरें समान होनी चाहिए ताकि आमजन को राहत मिल सके। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा लगभग सभी राजमार्गों पर टोल वसूली की जाती है और यहां पर भी टोल की दरें ज्यादा तो हैं ही बल्कि प्रतिवर्ष टोल की दरों में भी 10 प्रतिशत के करीब वृद्धि कर दी जाती है और परिवहन विभाग अपने करों को भी प्रतिवर्ष बढ़ा देता है जिससे वाहनचालको पर चौतरफा मार सहन करनी पड़ रही है। ज्ञापन में समस्त सरकारी और निजी बीमा कम्पनियों की ऑडिट भी कैग द्वारा करवाई जानी चाहिए। क्योंकि आज बीमा कम्पनियों की ऑडिट आईआरडीए द्वारा करवाई जा रही है जिससे
भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। कम्पनियों द्वारा तृतीय पक्षकार बीमा के अन्तर्गत हर वर्ष व्यवसायिक वाहनों पर अपने एजेंटों को 30 प्रतिशत
कमीशन दिया जाता है इससे प्रतीत होता है कि ये कम्पनियां बीमा में
अत्याधिक मुनाफा कमा रही हैं। जिसके लिए पूर्व में भारतीय बीमा विनियामक प्राधिकरण के अध्यक्ष को ई-मेल द्वारा अवगत करवाया जा चुका है मगर कार्रवाई तो दूर की बात आज तक उनका कोई जबाव तक भी नहीं आया। साथ ही भारतीय स्टेट बैंक द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड के अन्तर्गत अपनी सहायक कम्पनी का बीमा जबरन बेचा जा रहा है और यह बीमा अत्याधिक महंगा है जबकि प्राथमिकता प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना व प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना को मिलनी चाहिए ताकि नागरिकों को मामूली दरों पर बीमा उपलब्ध हो सके मगर एसबीआई द्वारा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना व प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा और अपना बीमा बेचा जा रहा है जिससे आम नागरिक प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना व
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के प्रति जागरूक भी नहीं हो पा रहे। इस अवसर पर आम आदमी पार्टी के सुशिल भाकर,गुरमीत सिंह,सुखदेव सिंह,सुरेंद्र सिंह,जगदेवराज,ओमप्रकाश,गणेश आदि मौजूद थे।
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