शिव ध्वजारोहण कर एवं गुब्बारे उड़ाकर दिया विश्व शांति का संदेश
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की 80वीं वर्षगांठ पर चार दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ
आबूरोड । यहां की एक-एक चीज में आदर्शवादिता, श्रेष्ठता और उन्नति दिखती है। यदि आपको ईमानदारी, आदर्श और प्राणामिकता, एकता और अनुशासन देखना है तो यहां आकर देखो। यही एकमात्र ऐसा संगठन है जो विश्व को सही राह दिखा सकता है। इससे बड़ी बात यह कि इसकी बागडोर शुरू से ही महिलाओं और माताओं के हाथ में है, इसके बावजूद संगठन इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह देखकर मुझे गर्व होता है। यह उद्गार भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने व्यक्त किए। मौका था प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के 80 वर्ष पूर्ण होने पर संस्था के मुयालय शांतिवन परिसर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महासमेलन का।
'विश्व परिवर्तन के लिए परमात्म ज्ञानÓ विषय पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ नेता आडवानी ने कहा कि मैं इस संस्था के प्रारंभ से ही जुड़ा रहा हूं। मैंने अपनी आंखों से देखा है, कैसे इसके संस्थापक दादा लेखराज ने ओम मंडली से शुरुआत की थी। दादा लेखराज एक आदर्श व्यक्ति थे, उन्होंने वैसा ही आदर्श संगठन बनाया है। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए, वह कम है।
यह सब प्रभु की ही कृपा
आडवाणी ने कहा कि मुझे यह देखकर आश्चर्य लगता है कि इतने कम समय में इसे पूरे ब्रह्मांड में फैला दिया और इतना विशाल संगठन बन गया है। सबसे बड़ी बात इसकी बागडोर माताओं-बहनों के हाथ में है। इसके अलावा दुनिया में ऐसा कोई संगठन नहीं है जिसका संचालन महिलाओं द्वारा किया जाता हो। यह ईश्वरीय शक्ति का कमाल, उनके आशीर्वाद का ही नतीजा है जो आज दादी जानकी 102 वर्ष की आयु में भी इसका संचालन कर रहीं हैं। प्रभु की कृपा के बिना यह सब कार्य संभव नहीं है।
गर्व की बात है ब्रह्माकुमारी संगठन
आडवाणी ने जोर देते हुए कहा कि मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं यह हमारे देश के लिए, भारतीय संस्कृति के लिए गर्व की बात है जो इतना विशाल संगठन नि:स्वार्थ भाव, ईमानदारी से लगा हुआ है। देश में ब्रह्माकुमारी संगठन की तरह एक और संगठन आरएसएस है जो नि:स्वार्थ भाव, ईमानदारी और प्रामाणिकता के साथ आदर्श व्यक्ति का निर्माण करता है। मैं ऐसे संगठन का सदस्य रहा हूुं और आज भी हूं, जो राष्ट्र निर्माण के लिए सेवा करता है। उन्होंने कहा कि ये संस्था जरूर अपने आदर्शों को प्राप्त कर दुनियाभर में नाम रोशन करेगी। जो व्यक्ति देशसेवा करना चाहते हैं वह इस संगठन से जरूर जुड़ें। हिंदुस्तान के अंदर एक भी ऐसा भवन नहीं देखा जिसमें एक भी 'पिलरÓ न हो और उसमें 10 हजार से अधिक लोग एक साथ आराम से बैठ सकें।
आडवाणी की सीख
- जीवन में छोटी-छोटी बातों से सीख लेना चाहिए।
- कभी भी अपने मूल्य, आदर्श और ईमानदारी से समझौता नहीं करें। मैंने भी अपने जीवन और आचरण में कभी मूल्यों और आदर्शों से समझौता नहीं किया।
- कभी भी गलत कामों में सहयोग न दें और जो करता है उसे प्रोत्साहित नहीं करें।
- हमारे आचरण में बेईमानी न हो। सदा ईमानदार रहें और अपने बच्चों को भी यहीं सिखाएं।
ये पांच मंत्र भी दे गए आडवाणी
ईमानदारी, प्रामाणिकता, पूयनीयता, शुद्धता, वास्तविकता़
स्वागत से हुए अभिभूत
स्वागत भाषण संस्था के अतिरिक्त महासचिव एवं एजुकेशन विंग के डायरेक्टर और कार्यक्रम संयोजक ब्रह्माकुमार मृत्युंजय भाई ने दिया। प्रारंभ में मधुर वाणी ग्रुप के सदस्यों ने 'स्वर्णिम जहां बनाने, भगवान आ गए हैं, नई दुनिया बनाने भगवान आ गए हैं...Ó गीत गाकर सभी अतिथियों और देशभर से पधारे जनप्रतिनिधियों, आईएएस अफसरों और मीडियाकर्मी सहित सभी का स्वागत किया। इसके साथ ही सभी अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
ममता के आंचल से विश्व को संवार रही संस्था
सिने जगत की प्रसिद्ध अभिनेत्री रवीना टंडन ने कहा कि ब्रह्माकुमारी संस्था सभी को प्यार, मोहब्बत, और सेवा सिखाती है। यह एक ममता भरी संस्था है जहां ममता के आंचल में प्रेम सिखाया जाता है। यहां मैंने जीवन में पहली बार आंखों में झांककर अपने सोल को देखा है। यहां आकर मुझे बहुत ही खुशी और प्रसन्नता हुई। देश की अगली पीढ़ी को संवारना मुश्किल लग रहा है, लेकिन ब्रह्माकुमारी संस्था के सुविचार को फैलाया जाए तो अगली पीढ़ी में अछे संस्कारों का निर्माण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि मुझे यहां से जुड़कर काफी कुछ सीखने और अपनी प्रतिभा निखारने में अहम योगदान है। संस्था की ओर से आर्ट एवं कल्चर के क्षेत्र में मुझे पुरस्कार से नवाजा गया, जिसे पाकर मैं बहुत ही खुश हूं। उन्होंने अपनी आने वाली फिल्म मातृ के लिए भी आशीर्वाद मांगा जो 21 अप्रेल को रिलीज हो रही है।
भाव विभोर हुईं सिने स्टार अमिता
सिने स्टार अमिता नांगिया अपने अनुभव बताते हुए भाव-विभोर हो गईं और उनकी आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने कहा कि मैं यहां आने से अपने घर जैसा महसूस कर रही हूं। यहां अद्भुत शांति और सुकून मिला। इसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकती हूं। आज दुनिया जिस ओर जा रही है उसे आध्यात्मिकता की बेहद जरूरत है। यहां मुझे बहुत ही पॉजीटिव एनर्जी महसूस हुई। मुझे यहां भगवान ने ही भेजा है, उनके आशीर्वाद के बिना यह संभव नहीं है।
स्कूलों में अनिवार्य हो योग शिक्षा: पीजे कूरियन
रायसभा के उप सभापति पीजे कूरियन ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान आध्यात्मिकता का महान कार्य कर रही है। इसका विश्वभर में नेटवर्क है जिसके संस्थापक ब्रह्मा बाबा ने महिला सशक्तीकरण का सही उदाहरण प्रस्तुत किया जो दुनिया के लिए अनुकरणीय है। उन्होंने कहा कि योग ही लुप्त हो रही भारतीय संस्कृति को बचा सकता है। मैंने भी 2012 में राय सभा में देश के सभी स्कूलों में योग शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि ब्राह्माकुमारीज की ओर से स्थापित उन्नत सोलर प्लांट यहां की वैज्ञानिक सोच का परिचायक है। यह ऊर्जा बचाने के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकु मारीज को समाज सुधार के अपने महान प्रयासों को और अधिक तीव्र करना चाहिए ताकि जन-जन में जागृति आ सके।
शिव ध्वजारोहण और गुब्बारे छोड़़कर दिया शांति का संदेश
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन, संस्था की मुय प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकी, राजयोगिनी दादी ह्दयमोहिनी, दादी रतनमोहिनी, बीके मुन्नी बहन, बीके निर्वेर, बीके करूणा, बीके मृत्युंजय ने 100 फीट ऊँचा शिव ध्वज फहराया। साथ ही आसमान में गुब्बारे छोड़कर विश्व शांति का संदेश दिया। यहां विश्व एकता के मकसद से विश्व के सभी देशों के राष्ट्रीय ध्वज भी लगाए गए हैं। इसके बाद सभी अतिथियों ने संस्था की ओर से की गई विभिन्न सामाजिक सेवाओं एवं उपलब्धियों की विशाल प्रदर्शनी का उद्घाटन रिबन काटकर किया। बाद में सभी ने प्रदर्शनी का अवलोकरन कर इसकी सराहना की।
देश को स्पिरियूअल आर्मी की जरूरत : सुधीर चौधरी
दी न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी ने कहा कि संस्थान में आकर वे खुद आध्यात्मिक रूप से बहुत ही उन्न्नत और समृद्ध महसूस कर रहे हैं। इन तरंगों से मैं अभिभूत हुूं। ऐसा लगा रहा है कि हम किसी बाहरी गरीब देश से एक अमीर देश में आ गए हैं। हम एक ऐसी जगह से यहां आए हैं जो आध्यात्मिक रूप से गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है। उन्होंने कहा कि सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, उसके बाद आजकल देशभक्त ट्विटर आर्मी का नाम लिया जाता है। मगर यहां आकर यह महसूस हुआ कि अब हमें स्पिरियुअल आर्मी की जरूरत है। आज देश के सामने सवाल यह है कि हमारे 130 करोड़ लोगों के चरित्र की, उनकी आध्यात्मिक रक्षा कौन करेगा। तब पूरा देश ब्रह्माकुमारीज की तरफ देखता है। सुविधा की सरकारें बातें करती हैं लेकिन खुशी लाने के लिए कोई ऐसा कार्यक्रम नहीं करती, ऐसे में दिनोंदिन देश में खुशी का स्तर गिरता जा रहा है। मीडिया के माध्यम से हम आधत्मिक विचारों के प्रचार-प्रसार का कार्य करेंगे। मीडिया के न्यूजरूम में हमेशा निगेटिव माहौल मिलता है। जितने लोग मरते हैं, उतनी बड़ी खबर बन जाती है। ऐसी जगहों पर भी ब्रह्माकुमारीज के ज्ञान के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। उन्होंने एक दृष्टांत सुनाते हुए कहा कि हम कितने भी व्यस्त क्यों न हों, दोस्त के साथ दो कप चाय जितना समय जीवन में जरूर निकालें।
हैप्पीनेस मिनिस्ट्री की जरूरत : दीपक चौरसिया
इंडिया न्यूज के एडिटर इन चीफ दीपक चौरसिया ने कहा कि यहां आज हुए अनुभव को शब्दों मेें बयां करना मुश्किल है। दिल्ली मेें ऋणात्मक वातावरण है। कहीं भाई-भाई से लड़ रहा है तो कहीं राजनेता। जो लोग नहीं झगड़ रहे हैं वे दूसरों की चिंता में दुखी हो रहे हैं। ऐसी दुनिया में पिता परमेश्वर से प्रेम की सीख देना सचमुच अद्भुत है। मध्यप्रदेश सरकार ने हैप्पीनेस मिनिस्ट्री बनाई है, ऐसा देश भर में होना चाहिए। खुर रहने के लिए अपने आप से प्यार करें और हिमत से सबको बढ़ाएं। संस्थान के बारे में कहा कि वे बचपन से ही इससे जुड़े थे मगर पत्रकारीय जीवन की व्यस्तताओं के कारण सब पीछे छूट गया, आज फिर उस ऊर्जा, शक्ति पुंज को यहां पर पा लिया है। चोरसिया ने कहा कि यह संस्थान दुनिया का आधत्मिक रोशनदान है, जिसे खिड़की बनाने की जरूरत है। मैं पूरी दुनिया में घूमा, मगर भारत जैसा आध्यात्मिक देश कहीं नहीं। आज के समाज में प्रमाण पत्र का ही संबंध रह गया है जो संबंधों में गिरावट का द्योतक है, इसमें सुधार की संभावना है।
अंदर से विचार बदलना जरूरी : अमराराम
राजस्व मंत्री अमराराम ने अटल बिहारी वाजपेय की कविता सुनाते हुए कहा कि जीवन व्यर्थ की बातों में बीता जा रहा है। इसे राजयोग के माध्यम से सार्थक और सुंदर बनाने की आवश्यकता र्है। वही जीवन सार्थक है जो दूसरों के काम आ जाए। हमें खुद को हर हाल में बदलना होगा। जब तक अंदर से हम अपने विचार नहीं बदलेंगे, तब तक हमारे मन में शांति नहीं आएगी।
बुराई के खिलाफ हर हाल में लडऩा होगा : रघुरामचंद्रन
एशिया नेट चैनल के हैड रघुराम चंद्रन ने कहा कि जीवन एक संघर्ष है जिसमें हमें बुराइयों के खिलाफ लगतार लडऩा है। वे ही लड़ाई और जीत के सच्चे हकदार हैं जो अपने कत्र्तव्य और जिमेदारियों का सच्चे मन से निर्वहन करते हैं। मोबाइल ने हमने हमारा चिंतन का वक्त छीन लिया है। यहां आकर महसूस होता है कि हम आपाधापी भरी दुनिया से दूर चले आए हैं। ऐसे में हमें ब्रह्माकुमारी जैसे संस्थाओं की शिक्षाओं की जरूरत है।
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