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पिछले डेढ़ साल से बंद पड़ा कालीबंगा संग्रालय आखिर खुला,जाने क्यूँ बंद रहा डेढ़ साल तक संग्रालय

aakhir khula musiium


डेढ़ साल  बाद फिर आमजन के लिए खुला कालीबंगा संग्रहालय 
संग्रहालय में हुए रिनोवेशन कार्यों का जिला कलक्टर ने किया लोकार्पण


        हनुमानगढ़ ।विश्व संग्रहालय दिवस पर पुरातत्व संग्रहालय कालीबंगा को रिनोवेशन कार्य के बाद फिर आमजन के लिए खोल दिया गया। करीब डेढ़ साल तक चले रिनोवेशन कार्यों का गुरूवार को जिला कलक्टर  प्रकाश राजपुरोहित ने लोकार्पण किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस संग्रहालय में करीब 80 लाख खर्च कर विभिन्न कार्य करवाए जिसमें संग्रहालय के लगे सभी शो केसों का पुनर्रूद्धार , पूरी बिल्डिंग में रिवाइरिंग,फाल सीलिंग,फर्श और रंग रोगन का कार्य,  एलईडी लाइट्स, कूलिंग के लिए डक्टिंग सिस्टम,संग्रहालय के चारों ओर इंटरलॉकिंग टाइल्स, विजीटर्स के लिए बड़ा वाटर कूलर, टॉयलेट, वीआईपी रूम बनाने का कार्य शामिल है। मार्क्शमैन  ईश्वर सिंह ने बताया कि रिनोवेशन कार्य के चलते 25 नवंबर 2015 से संग्रहालय को आमजन के लिए बंद कर दिया गया था।

               इस अवसर पर सार्वजनिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि जिला कलक्टर  प्रकाश राजपुरोहित, विशिष्ठ अतिथि मध्यमप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी  आशीष,जोधपुर मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. वी.एस बाडीगर, पीलीबंगा प्रधान  प्रेमराज जाखड़ इत्यादि ने संग्रहालय के नए ब्रोशर का विमोचन किया।

             कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला कलक्टर  प्रकाश राजपुरोहित ने कहा कि ये गर्व का विषय है कि हमारे यहां करीब 4 हजार साल पुरानी सभ्यता थी और उसके अंशों को हम एक बार फिर देख पा रहे हैं। साथ ही कहा कि इस सभ्यता को देखकर हमें ये सीख भी मिलती है कि हम भी कुछ ऐसा कार्य करें कि आने वाली पीढियां भी उसे देखकर हम पर गौरान्वित महसूस कर सके। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जोधपुर मंडल के अधीक्षण, पुरातत्वविद् डॅा. वीएस बाडीगर ने कहा कि रिनोवेशन को लेकर संग्रहालय को करीब डेढ़ साल बंद रखा गया। सिंधु नदी तट की महत्वपूर्ण साइट कालीबंगा है। 4 हजार साल पहले लोग कैसे रहते थे। किस प्रकार की जिंदगी जीते थे। उसके अवशेष इस संग्रहालय में रखे गए हैं। इसको देखकर लोगों को अपनी सभ्यता पर गर्व महसूस होगा।

              कार्यक्रम में हनुमानगढ़ जिला कलक्टर  प्रकाश राजपुरोहित के अलावा मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी और उज्जैन के डिप्टी कलेक्टर आशीष,  भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जोधपुर मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. वी.एस बाडीगर, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् और कालीबंगा संग्रहालय के इंचार्ज  अनिल कुमार डागर, मार्क्समैन  ईश्वर सिंह, पीआरओ सुरेश बिश्नोई, पीलीबंगा प्रधान  प्रेमराज, कालीबंगा सरपंच श्रीमती सरिता रानी झोरड़ समेत बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल थे। गौरतलब है कि कालीबंगा संग्रहालय की स्थापना 1985 में  हनुमानगढ़ जिले की पीलीबंगा तहसील में स्थित ग्राम पंचायत कालीबंगा में की गई थी। इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशकों प्रोफेसर बी.बी.लाल,  बी के थापर और  जे पी जोशी के निर्देशन में नौ सत्रों में (सन 1961-69) हुए उत्खननों के दौरान पुरास्थल से प्राप्त पुरातात्विक पुरावशेषों को प्रदर्शित किया गया है। कालीबंगा घग्घर नदी ( प्राचीन सरस्वती नदी) के बाएं तट पर स्थित था।

 यहां से दो सांस्कृतिक कालों के प्रमाण प्राप्त हुए थे। प्रारंभिक हड़प्पाकालीन लगभग 3000 बीसी - 2700 बीसी और विकसित हड़प्पाकालीन लगभग 2600-1900 बीसी । दोनों समय के करीब 1300 पुरावशेष यहां प्रदर्शित किए गए हैं जिसमें टेराकोटा और कॉपर की बनी हुई चूडियां, टेराकोटा के मृदभांड, तांबे का बना हुआ बैल, तांबे का मिरर, भाले, अग्रबाण के अलावा पत्थर के अवशेष सीलबट्टा, नाप तोल के वेट,अर्द्धमुल्यवान पत्थर इत्यादि शामिल हैं।

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