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समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीद शुरू न होने किसान परेशान,1500-2000 रुपये में बेचने को मजबूर किसान


धान मंडी में आवक शुरू परन्तु भाव से किसान ना खुश।
1500से 2000 रुपए प्रति क्विंटल कम में बेचने की मजबूरी

केसरीसिंहपुर (गुरविन्द्र बराड़)
किसानों के खेतों में खड़ी फसलो के सरकार समर्थन मूल्य पर खरीद के दावे तो कर देती है परंतु जब फैसले पकने के बाद किसान धान मंडीओ में बेचने के लिए लाते है उस समय सरकार की पूर्व में घोषित किए गए सभी दावे हवा हो जाते है। किसान न चाहते हुए भी ओने पौने दामो पर अपनी फसले बेचने पर मजबूर हो जाते है। 


इसी तरह मूंग के समर्थन मूल्य सरकार द्वारा 5575 रुपये तय किया गया है ।लेकिन पिछले सीजन में भी किसान सरकार की खरीद की राह देखते रहे सरकारी खरीद क़स्बे की धान मंडी में नहीं आई। लेकिन इस सीजन में मूंग की फसल लग भग पक कर तैयार है किसान इसे निकाल कर बेचने के लिए बाजार लाने लगे है। मूंग के भाव क्षेत्र के किसानों को दगा दे रहे हैं। ऐसे में मेहनत की कमाई से उपजाया हुआ मूंग समर्थन मूल्य पर दम तोड़ रहा है। 


कस्बे में मूंग की आवक तो शुरू हो चुकी है लेकिन किसानों को इसका सही भाव नहीं मिल रहा। किसान मूंग को समर्थन मूल्य से करीब 1500 रुपए प्रति क्विंटल कम में बेचने को मजबूर है। भले ही इस सीजन में मूंग की फसल का अच्छा उत्पादन और गुणवत्ता बनी हुई है पर भाव किसानों को चिंता में डाले हुए हैं। हैरानी की बात ये है कि सरकार का समर्थन मूल्य बोनस (200 रुपए) सहित 5575 रुपए प्रति क्विंटल है लेकिन बाजार भाव महज 3500 से 4000 रुपए तक ही मिल रहा है। 


ऐसी स्थिति में कई किसानों ने तो मूंग को रोक कर समर्थन मूल्य खरीद का इंतजार करने लगे है।उल्लेखनीय है कि इस बार केसरीसिंहपुर क्षेत्र के 2 हजार बीघा में मूंग की बिजाई हुई है। और औसत उत्पादन भी 1.5 से 2 क्विंटल बीघा माना जा रहा है । लेकिन भावों ने किसानों के समक्ष संकट खड़ा कर दिया है ।


पिछले सीजन में लगाए थे दूसरी मंडियो के चक्कर, इस बार भी स्थिति पूरी तरह स्पष्ट नहीं।


क्षेत्र के किसान अपनी मूंग की फसल को समर्थन मूल्य पर बेचना चाहते है। परंतु स्थानीय स्तर पर अभी तक इसे बेचने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। 
पिछले सीजन में श्रीकरणपुर में मूंग खरीद केंद्र बनाया गया था । 

वहा कुछ किसान मूंग को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए ले गए थे। नियमों और शर्तों के चलते किसानों को बाद में भुगतान के लिए काफी भाग दौड़ भी करनी पड़ी थी। बाद में मजबूर होकर किसानों ने खुले में मूंग बेचना पड़ा था हालांकि इस बार सरकारी स्तर पर खरीद की क्या व्यवस्था होगी यह अभी तय नहीं हुआ है। 


हताश किसान बोले-अड़ंगे ज्यादा, कैसे बेचें मूंग
इन दिनों धानमंडी में मूंग की फसल लेकर पहुंचने वाले किसानों का कहना है कि सरकार महज भाव घोषित कर देती है लेकिन कई तरह के अडग़े लगा देती है।


 ऐसे में हम मूंग कैसे बेचें। किसान राजेंद्र सिंह, बलदेव सिंह, हरविंद्र सिंह, उधम सिंह, गुरप्रीत सिंह, गुरजीत सिंह आदि किसानों ने बताया कि एफसीआई गेहूं की खरीद करती है वो सही तरीके से हो जाती है लेकिन समर्थन मूल्य पर चना, मूंग, जौ आदि फसलों को सही भाव नहीं मिल पाता। मूंग को संभालना बेहद मुश्किल है। भंडारण व्यवस्था भी होनी चाहिए नहीं तो इसमें घुण लग जाता है, जिससे सारी मेहनत खराब हो जाती है। सरकार को भावों पर गौर करना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिले।


मुंगी को तैयार करने में मेहनत के साथ महंगे बीज, खाद, कीटनाशक से खर्चा अधिक करना पड़ता है । इसमें येलो मोजेक रोग के साथ ही घोड़ा नामक कीट, सुंडी का प्रकोप आदि अधिक होता है । तैयार फसल को स्टिक के दौरान घुन लगने की बीमारी से भी यह खराब हो जाती है । नाम मात्र की बारिश हो तो भी खराब होने के कगार पर पहुँच जाती है । धरती पर फैलाव होने के कारण बारिश से अधिक नुक्सान उठाना पड़ता है ।

 ऊपर से किसानों को भाव की मार झेलनी पड़ती है । इसलिए किसानोंके इस फसल से मोह भंग होना स्वाभाविक है । यह नगदी की बजाय घाटे का सौदा साबित होने लगी है । निर्मल सिंह, बागीचा सिंह , जगमोहन सिंह आदि किसानों ने इसे जनप्रतिनिधियो की कमजोरी बताते हुए कहा है कि स्थानीय स्तर के नेता किसानों का साथ नहीं देते। जिस कारण उनकी फसलो का सही मूल्य किसानों को नहीं मिल पा रहा है।

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