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अजमेर चुनाव सीधे वसुंधरा व पायलेट की जीत-हार करेंगे तय


अजमेर(एस.पी. मित्तल) 1 फरवरी को यह तय हो जाएगा कि अजमेर के लोकसभा उपचुनाव में कौन हारेगा और किसकी जीत होगी। यूं कहने तो रामस्वरूप लाम्बा भाजपा तथा रघु शर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और एक उम्मदीवार पर हार का ठप्पा लगेगा ही, लेकिन सब जानते हैं कि  अजमेर में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने ही चुनाव लाड़ा है। लोकसभा के उपचुनाव तो अलवर में भी हो रहे हैं, लेकिन इन दोनों ने नामांकन के बाद से ही सबसे ज्यादा समय अजमेर में ही बिताया।





 पायलट ने तो अजमेर शहर में ही अपना डेरा जमा लिया, जबकि सीएम राजे आए दिन हेलीकाॅप्टर से अजमेर आतीं रहीं। सीएम ने अपने मंत्रियों की पूरी फौज संसदीय क्षेत्र में तैनात कर दी तो पायलट ने पूर्व मंत्रियों और अपने विश्वास पात्रों की तैनाती की। सीएम ने दो बार आठों विधानसभा क्षेत्रों में जाति समूह के आधार पर जनसंवाद किया तो पायलट ने दो-दो, तीन-तीन बार विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया। सीएम के सामने जो भी समस्या रखी गई उसे हाथों हाथ स्वीकारा गया, वहीं पायलट ने नाराज कांग्रेसियों को मानने में कोई कसर नहीं छोड़ी।




 प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद चार वर्ष तक जिस नेता की शक्ल देखना पसंद नहीं किया, उस नेता के घर जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इसका सबसे बड़ा उदाहरण बाबूलाल नागर की कांग्रेस में वापसी है। दूदू के दिग्गज नेता नागर को 10 जनवरी को नामांकन के एक दिन पहले शामिल किया गया। इसी प्रकार सीएम राजे ने भी राजपूत और रावणा राजपूतों को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हालांकि सीएम को इस मामले में अपेक्षित सफलता नहीं मिली, लेकिन अपने राजपूत मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ को एक माह तक अजमेर में ही टिकाए रखा।





 दमदार सीएम होने के बाद भी राठौड़ के कहने पर ही राजपूत सरपंचों के प्रतिनिधियों तक से मुलाकात की। यानि जो राजपूत सरपंच नहीं आए उनके प्रतिनिधियों से भी मुलाकात करने में भी सीएम ने हिचक नहीं दिखाई। यानि जिस मंत्री ने जो कहा वो सीएम ने किया। कई मंत्रियों को तो उपचुनाव में सीएम के सामने अपनी सीआर सुधारने का भी अवसर मिल गया। इसमें उच्च शिक्षामंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी शामिल हैं। 





अजमेर संसदीय क्षेत्र के 8 में से 7 विधायक भाजपा के हैं और इन सात में 2 स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री हैं तो दो संसदीय सचिव बन कर मंत्री स्तर की सुविधाएं ले रहे हैं। लेकिन इसके बावजदू भी सीएम प्रत्येक विधानसभा  क्षेत्र में केबिनेट रेंक के मंत्री की तैनाती की। जिला परिषद से लेकर शहरी क्षेत्र में स्थानीय निकायों तक पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन फिर भी सीएम ने इतनी ताकत अजमेर में लगाई।




  इससे ज्यादा और क्या हो सकता है कि सीएम ने चुनावी जंग में अपने पुत्र दुष्यंत सिंह और बहु निहारिका राजे को भी उतार दिया। सचिन पायलट की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर है कि अजमेर उनका निर्वाचन क्षेत्र रहा है। भाजपा पहले ही आरोप लगा रही है कि हार के डर की वजह से पायलट स्वयं अजमेर से चुनाव नहीं लड़ा। इस दबाव को सहते हुए ही पायलट ने अजमेर में रात दिन एक कर दिया। अब यदि कांग्रेस की हार होती है तो यह पायलट की मानी जाएगी और भाजपा की हार होती है तो वसुंधरा राजे की हार मानी जाएगी।

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