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लोक संस्कृति पर हो रहे हैं अनुसंधान —पढ़ाया जा रहा है मानव सेवा का पाठ

—विश्वविद्यालयों में गूंज रहा है देश भक्ति का राग
—राज्यपाल श्री कल्याण सिंह कर रहे हैं चारों धर्मों के ग्रन्थों का तुलनात्मक अध्ययन

जयपुर। राजस्थान के राज्य विश्वविद्यालयाें के परिसरों में देश भक्ति की बयार चल रही है। विश्वविद्यालयों में लहराता राष्ट्रीय ध्वज और स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा युवाआें में राष्ट्र प्रेम के भाव पैदा कर रहे हैं। दीक्षांत समारोह में भारतीय पोशाक में पदक और उपाधि ले रहे छात्र-छात्राएं स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। प्रत्येक विश्वविद्यालय के अपने कुलगीत से परिसरों में समृद्ध लोक संस्कृति व सांस्कृतिक समरसता के सौहार्दपूर्ण गीत-संगीत के साथ राष्ट्रीयता गूंज रही है।




छात्र-छात्राओं को गांवों से जोड़कर मानव सेवा का पाठ पढ़ाया जा रहा है। विश्वविद्यालयों में स्थानीय महापुरूषों, लोक देवताओं की शोध पीठें गठित कर अनुसंधान में गुणवत्ता लाने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। राज्य में उच्च शिक्षा में आये इस परिवर्तन के वाहक हैं, श्री कल्याण सिंह, जो राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति एवं राजस्थान के राज्यपाल हैं। श्री सिंह की पहल और सार्थक प्रयासों ने राज्य के विश्वविद्यालयों के परिसरों में राष्ट्रीय एकता व सद्भावना के पुष्प पल्लवित हो रहे हैं।




परिसरों में स्वच्छता, नियमित कक्षाएं, समयबद्ध  परीक्षा परिणाम व दीक्षांत समारोहों ने राज्य की उच्च शिक्षा की तस्वीर बदल दी है। वंचितों और असहायों की आवाज सुनी जा रही है क्योंकि उनके सहयोग के लिए स्वयं राज्यपाल श्री कल्याण सिंह मजबूती के साथ खडे़ हुए हैं। 




कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह का अनुसरण करते हुए विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी छा़त्र-छात्राओं की समस्या सुनने के लिए अपने द्वार खोल दिये हैं। किसी भी विद्यार्थी का भविष्य अंधेरे में न रहे बल्कि उसके जीनव को नई रोशनी मिले, इसके गम्भीरता से प्रयास किये जा रहे हैं। विश्वविद्यालयों मंंे पढ़ाई का नया माहौल बना है। पुस्तकालयों का कम्प्यूटरीकरण किया जा रहा है। 



श्री सिंह स्वयं भी निरंतर अध्ययन में लगे हुए हैं। वे गत कुछ महिनों से हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख व ईसाई धर्मों के ग्रंन्थों का तुलनात्मक अध्ययन कर रहे हैं। श्री सिंह रामायण, महाभारत, कुरान, गुरू ग्रन्थ साहिब, बाइबिल और सत्यार्थ प्रकाश का तुलनात्मक अध्ययन कर रहे हैं। इन सभी गं्रथों से समाज को नई दिशा देने वाले बिन्दुओं का सारगर्भित निचोड़ वे तैयार कर रहे हैं ताकि इसका लाभ समाज, प्रदेश व राष्ट्र को मिल सके।



राज्य विश्वविद्यालयों में अब कोई डिग्री पेंडिंग नहीं है। शिक्षक-विद्यार्थी संवाद बढ़ाने लोगों में सौहाद्र्र और मेल-मिलाप बढ़ाने के लिए महापुरूषों की जयन्ती पर्व व राष्ट्रीय पर्वों को उल्लासपूर्वक मनाये जाने के निर्देश भी राज्यपाल श्री सिंह ने कुलपतियों को दिये हैं। राज्य की समृद्ध संस्कृति, सांस्कृतिक व लोक धरोहरों पर अनुसंधान, लोक संस्कृति के पक्षों को उजागर करने, स्थानीय लोक देवताओं के कार्यों की महत्ता को समाज के सामने लाने के लिए विश्वविद्यालयों में पीठों की स्थापना की गई है। इन पीठों में शोध एवं अनुसंधान हो रहे हैं, जिनके परिणाम निकट भविष्य में आयेंगे और उनका लाभ समाज को मिलेगा।

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