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महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए स्वयं संघर्ष करना होगा - अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग

जयपुर,। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर बुधवार को हरिश्चन्द्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान, जयपुर में महिला अधिकारिता विभाग की ओर से राज्य स्तरीय समारोह आयोजित किया गया। 



इस अवसर पर गरिमा बालिका संरक्षण एवं सम्मान योजना के अन्तर्गत बालिकाओं के प्रति हिंसा व शोषण के विरुद्ध अनुकरणीय कार्य करने वाले तीन गैर सरकारी संस्थाओं तथा व्यक्तिगत श्रेणी में 6 व्यक्तियों को भी सम्मानित किया गया। पुरस्कार के तहत प्रत्येक व्यक्ति एवं संस्था को 25 हजार रुपए नकद, प्रशस्ति पत्र एवं प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया।




कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार अपनी योजनाओं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की दिशा में जो प्रयास कर रही है, उसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि आज हर क्षेत्र में महिलाएं महत्त्वपूर्ण पदों पर काम कर रही हैं, यहां तक कि देश की रक्षा मंत्री भी एक महिला हैं। श्रीमती शर्मा ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खुद ही संघर्ष करना होगा और शोषण के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठानी होगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए कानून में सभी तरह के प्रावधान हैं और प्रत्येक महिला को इनकी जानकारी होनी चाहिये।




इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव श्रीमती रोली सिंह ने कहा कि हमारी जीत तभी है जब महिला को बराबर का अधिकार देने और उसके संरक्षण के लिए प्रयासों की आवश्यकता ही खत्म हो जाए। उन्होंने कहा कि समाज में यह चेतना खुद ही आनी चाहिये और यह तभी संभव है, जब इसकी शुरुआत स्कूल और परिवार के स्तर से हो। 



महिला अधिकारिता आयुक्त श्रीमती शुचि शर्मा ने कहा कि बालिकाएं ईश्वर की विशिष्ट कृति हैं और महिलाओं को प्रगति के समान अवसर देकर ही कोई भी समाज या देश प्रगति कर सकता है।




कार्यक्रम के दौरान वर्ष 2017 में गरिमा बालिका संरक्षण सम्मान प्राप्त बालिकाओं ने बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ अपने संघर्ष की कहानी सबके सामने रखी। वहीं सवाईमाधोपुर से आर्इं कॉलेज की छात्राओं ने बेटी बचाओ के संदेश को सामान्यतः पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले पद दंगल के रूप में प्रस्तुत कर सबको मंत्र- मुग्ध कर दिया।



इस अवसर पर विभाग के अधिकारी, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के सदस्य एवं बड़ी संख्या में स्कूल व कॉलेज के विद्यार्थी उपस्थित थे। 

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