वर्ल्ड । दुनिया भर में ग्लोबल वॉर्मिंग का दुष्प्रभाव नजर आ रहा है। तेजी से बढ़ते इंडस्ट्रीलाइजेशन के बीच पेरिस समझौते की अहमियत पहले के मुकाबले बढ़ती जा रही है। लेकिन पेरिस समझौते में इस दशक में वैश्विक तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य पाने के बावजूद वर्तमान की तुलना में आगे पर्यावरणीय घटनाएं होने की संभावना और ज्यादा है।
हाल ही में हुए एक शोध में यह दावा किया गया है। एजेंसी के मुताबिक,पेरिस समझौते में सभी देशों ने वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रखने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को लगभग पा लिया है। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में मौसम वैज्ञानिक और शोध रिपोर्ट के प्रमुख लेखक नोह डिफेनबॉफ ने कहा,लक्ष्य हासिल करने के बावजूद हम ऐसी जलवायु में पहुंच जाएंगे,जिसमें पर्यावरणीय घटनाएं वर्तमान से भी ज्यादा अनोखी घटनाएं घटने की प्रबल संभावनाएं हैं।
शोध रिपोर्ट के अनुसार,पेरिस समझौते का लक्ष्य हासिल करने पर धरती का क्षेत्रफल कम होने का अनुमान है,जिसस पर्यावरणीय घटनाओं की संभावना तीन गुना तक बढ़ सकती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी देश अगर वैश्विक तापमान वृद्धि को 2-3 डिग्री सेल्सियस रखने का लक्ष्य रखते तो इससे यूरोप में रातें रिकार्ड 50 फीसदी और पूर्वी एशिया में 25 फीसदी गर्म होने की संभावना बढ़ जाती।
जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए सबसे पहले 1992 में रियो डी जनेरियो में संयुक्त राष्ट्रसंघ द्वारा पृथ्वी सम्मलेन का आयोजन किया गया। इस सम्मलेन में यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसी) का गठन हुआ। इसके गठन का उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना था। अभी इसमें अमेरिका सहित कुल 191 देश शामिल हैं। इन देशों के सम्मलेन को ‘कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज’कहा जाता है। ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने की दिशा में सबसे पहला निर्णायक कदम 1997 में हुआ क्योटो प्रोटोकाल’है।
इस संधि के तहत सभी देशों ने मिलकर यह फैसला लिया कि वे 2012 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के स्तर में 1990 में हो रहे ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन के स्तर से 5.2 फीसदी की कमी कर सकते है। हालांकि यह समझौता 2005 में प्रभाव में आया। क्योटो प्रोटोकाल के बाद भी जलवायु परिवर्तन पर एक समझौते की जरूरत बनी रही। खासकर कार्बन के उत्सर्जन को कम करने को लेकर क्योंकि कार्बन जनित गैसों का हिस्सा ही ग्रीन हाउस गैसों में सबसे अधिक है।
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