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उच्च न्यायालय ने बेनामी मामले में सत्येंद्र जैन की याचिका पर की सुनवाई


नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह जानकारी मांगी है कि क्या नए बेनामी कानून के तहत सक्षम प्राधिकारी ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ कथित बेनामी मामले के संबंध में गवाहों से जिरह करने की मंत्री की याचिका पर कोई आदेश पारित किया है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने जैन की याचिका पर निर्देश दिए। याचिका में इस आधार पर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष सुनवाई पर रोक की मांग की गयी है कि कथित रूप से उनसे जुड़ी संपत्तियों को अस्थायी तौर पर कुर्क करने का आदेश उन्हें गवाहों से जिरह करने की मंजूरी दिए बगैर पारित किया गया। 




जैन की ओर से पेश हुए वकील अमित आनंद तिवारी ने दलील दी कि उन्हें गवाहों से जिरह करने का मौका नहीं दिया गया जिनके बयानों पर पूरी तरह विश्वास करके फैसला दिया गया। मंत्री ने अपनी याचिका में कहा, ‘‘सक्षम प्राधिकार के समक्ष पूरी सुनवाई गैरकानूनी है क्योंकि कई गवाहों के दर्ज बयान याचिकाकर्ता को उपलब्ध नहीं कराए गए।’’वकील ने यह भी दावा किया कि गवाहों से जिरह करने की उनकी अर्जी सक्षम प्राधिकार ने ना तो स्वीकार की और ना ही खारिज की।




मंत्री की दलीलों को खारिज करते हुए प्राधिकार की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि एक बार सक्षम प्राधिकार द्वारा आदेश देने के बाद मंत्री के पास इसके खिलाफ अपील करने का मौका होता है। बहरहाल पीठ ने कहा, ‘‘यह कैसे हो सकता है कि सक्षम प्राधिकार गवाहों से जिरह की याचिका ना तो स्वीकार करें और ना ही उस पर फैसला लें।’’



अदालत ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया यह बहुत अजीब लग रहा है।’’ अदालत ने इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 21 फरवरी की तारीख तय की। जैन के अनुसार, कथित बेनामी लेन देन वर्ष 2011 से 31 मार्च 2016 के बीच किया गया इसलिए नवंबर 2016 में हुआ संशोधन इस पर लागू नहीं होता।


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