नई दिल्ली(जी.एन.एस) .ट्रोल और डीजल की कीमतें अब तक के सबसे ऊंचे रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। सोमवार को मुंबई में एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको 88 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं, दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत 80 का आंकड़ा पार कर चुकी है। भले ही पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आ रही तेजी है। लेकिन सिर्फ यही एक वजह नहीं है। इसके लिए केंद्र सरकार की तरफ से लगाया जाने वाला टैक्स भी जिम्मेदार है। केंद्र सरकार ने नवंबर, 2014 से जुलाई 2017 के बीच पेट्रोल पर 233 फीसदी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है। वहीं, डीजल पर यह ड्यूटी पेट्रोल के मुकाबले दोगुनी रफ्तार से बढ़ी है।
इस समयावधि में मोदी सरकार ने डीजल पर 443 फीसदी एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई। एक्साइज ड्यूटी और वैट में भी कुछ हद तक बढ़ोतरी हुई। टैक्स में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी करने की वजह से आज पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर पहुंच गई हैं। डाटा के मुताबिक नवंबर, 2014 से जुलाई, 2017 के बीच पेट्रोल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी 9.20 प्रति लीटर से बढ़ाकर 21.48 रुपये प्रति लीटर हो गई। वहीं, डीजल की बात करें, तो इसे 3.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 15.33 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया। यहां ये बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये की कटौती की थी। सरकार की तरफ से लोकसभा में दिए गए डिक्लेरेशन के मुताबिक ईंधन से केंद्र सरकार की कमाई 2013-14 में जहां 88,600 करोड़ रुपये थी।
वही, 2018-19 (बजटीय अनुमान) में बढ़कर 2,57,850 करोड़ रुपये हो गई है। पेट्रोलियम मिनिस्ट्री के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकार के बीच टैक्स कलेक्शन 2014-15 में 3.32 लाख करोड़ रुपये था। 2017-18 में यह कई गुना बढ़कर 5.53 लाख करोड़ रुपये हो गया। इस तरह सिर्फ कच्चे तेल की कीमतें ही नहीं, बल्कि सरकारों की तरफ से वसूला जाने वाला टैक्स भी ईंधन की कीमतें बढ़ाकर आपकी जेब पर बोझ डाल रहा है।
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