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अब अगर तलाक दे दिया तो दहेज का मामला करवाने की जहमत ना उठाये,सुप्रीम कोर्ट का आया फैसला...


नई दिल्ली(जी.एन.एस). सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि तलाक होने के बाद किसी भी शख्स या उसके परिजनों के खिलाफ दहेज का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने यह भी माना है कि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498A या दहेज निषेध अधिनियम के किसी भी प्रावधान के तहत, दंपति के अलग होने के बाद अभियोजन टिकाऊ नहीं रहेगा। इसके बाद पीठ ने कहा कि जब किसी मामले में तलाक हो चुका हो तो वहां धारा 498A नहीं लागू हो सकता है। इसी तरह से दहेज निषेध अधिनियम 1961 की धारा 3/4 के तहत भी मामला दर्ज नहीं हो सकता। अदालत ने यह बात एक मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट की जब एक शख्स और उसके परिजन पीठ के समक्ष पहुंचे थे कि धारा 498A और दहेज निषेध अधिनियम के तहत उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया जाए।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने साल 2016 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए दायर की गई उनकी याचिका खारिज कर दी थी। अदालत में पूर्व पति और उसके रिश्तेदारों के वकील ने पीठ के समक्ष पहुंचे थे कि दंपति के बीच तलाक को चार साल हो चुके हैं ऐसे में मामला तर्कसंगत नहीं है। अदालत ने कहा कि इस बहस में ज्यादा वास्तविकता है। पीठ ने कहा, उनके (महिला) अपने कथन के मुताबिक उनका चार साल पहले तलाक हो चुका है, हम इस मत के हैं कि मामला IPC की धारा 498A और दहेज निषेध अधियनिम 1961 की धारा 3/4 के तहत तर्कसंगत नहीं है। इसके बाद दहेज प्रताड़ना के मामले में आरोपी सभी लोगों के खिलाफ मामला रद्द कर दिया गया।

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