Advertisement

Advertisement

NPA पर रघुराम राजन का संसदीय समिति को जवाब, कहा- इसके लिए UPA सरकार जिम्मेदार


नई दिल्ली(जी.एन.एस) . भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के लिए ‘अति आशावादी बैंकर्स’ और ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ को जिम्मेदार ठहराया है। एक संसदीय समिति को भेजे अपने जवाब में राजन ने यह बात कही। राजन ने मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली समिति को बताया कि बैंकों ने बड़े लोन देने में सावधानी नहीं बरती। 2008 में आई आर्थिक मंदी के बाद उनको उतना लाभ नहीं हुआ जितनी उन्होंने उम्मीद की थी। पूर्व आरबीआई गवर्नर ने ये भी बताया कि बैंकों ने ‘जोंबी’ लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स में बदलने से बचाने के लिए और अधिक लोन दिए।
पूर्व प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने एनपीए की पहचान करने और इसे हल करने की कोशिश के लिए राजन की तारीफ की थी, जिसके बाद संसदीय समिति ने उन्हें इस मुद्दे पर सलाह देने के लिए आमंत्रित किया था। राजन सितंबर 2016 तक तीन साल रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे और इस वक्त शिकागों यूनिवर्सिटी में इकॉनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं। बढ़ते एनपीए को लेकर संसदीय समिति वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी हंसमुख अधिया और बैंकों के शीर्ष अधिकारी से पहले ही पूछताछ कर चुकी है। पैनल के सदस्यों ने विभिन्न दस्तावेजों जैसे सार्वजनिक क्षेत्रे के बैंकों की बोर्ड मीटिंग के मिनट, जिसमें बड़े लोन को मंजूरी दी गई की भी मांग की थी। गौरतलब है कि इस वक्त सभी बैंक एनपीए की समस्या से जूझ रहे हैं। दिसंबर 2017 तक बैंकों का एनपीए 8.99 ट्रिलियन रुपए हो गया था जो कि बैंकों में जमा कुल धन का 10.11 फीसदी है। कुल एनपीए में से सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का एनपीए 7.77 ट्रिलियन है। बता दें कि बढ़ता एनपीए बैंकों की सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement