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केंद्रीय इस्पात मंत्रालय की चेतावनी, घटिया सरिया बनाने वाले जाएंगे जेल


नई दिल्ली(जी.एन.एस) घटिया गुणवत्ता वाले सरिया के इस्तेमाल की वजह से मकान, पुल एवं अन्य ढांचागत संरचनाओं के खतरे में होने की एक रिपोर्ट सामने आने के बाद केंद्रीय इस्पात मंत्रालय सक्रिय हो गया है। केंद्र सरकार कुछ ऐसी योजना बना रही है ताकि छोटे से छोटे ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद मिले। साथ ही इसमें घटिया सरिया या अन्य उत्पाद बनाने वाले को जेल भेजने का भी प्रावधान है। इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण इस्पात मुहैया कराने के उद्देश्य से कुछ साल पहले क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर लाया गया था। इसके बाद भी कुछ निर्माता घटिया गुणवत्ता का सरिया या इस्पात के अन्य उत्पाद बना रहे हैं, जो लोगों की सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर मामला है। उन्होंने बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के साथ मिलकर एक देशव्यापी अभियान चलाया जाएगा। इस दौरान घटिया गुणवत्ता का उत्पाद बनाने वालों को जेल भेजा जाएगा।
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अधिकारी के मुताबिक, देशभर में सेकेंडरी स्टील बनाने वाली इकाइयों का औचक निरीक्षण किया जाएगा ताकि वहां बन रहे उत्पादों के बारे में सरकार को पता चल सके। साथ ही सरिया के खुदरा विक्रेताओं के यहां भी जांच कर पता लगाया जाएगा कि कहीं वे घटिया सरिया की अवैध बिक्री तो नहीं कर रहे हैं। कुछ दिन पहले निर्माण क्षेत्र से जुड़े थिंक टैंक फर्स्ट कंस्ट्रक्शन काउंसिल ने देश के नामी 26 ब्रांड के सरिया की जांच कराई थी। इसमें 18 ब्रांड के नमूने फेल हो गए थे। थिंक टैंक ने आशंका जताई है कि इन घटिया सरिया के इस्तेमाल से बनाए गए हजारों मकानों के गिरने का खतरा पैदा होने के साथ देश का 5.7 खरब रुपये का इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश भी संकट में आ गया है।

थिंक टैंक का कहना है कि घटिया सरिया बनाने में कंपनियां बीआईएस की गाइडलाइंस का पालन नहीं करती हैं। सरिया के निर्माण में कई प्रकार की रासायनिक अशुद्धियां शामिल होती हैं। काउंसिल ने इन अशुद्धियों में शामिल फॉस्फोरस और सल्फर की मात्रा जांचने के लिए ही कई ब्रांड की सरिया सरकार की प्रमाणित लैब में भेजे थे। इनमें से 70 फीसदी ब्रांड के नमूने फेल हो गए थे।इस्पात मंत्रालय के रिटायर अधिकारी ने बताया कि अधिकतर खराब गुणवत्ता की सरिया बनाने वालों के पास बीआईएस का लाइसेंस ही नहीं है, जबकि देश में सरिया निर्माण के लिए बीआईएस से लाइसेंस लेना जरूरी है। उनके मुताबिक, इस समय देश भर में करीब 2000 इंडक्शन फर्नेस चल रहे हैं। इनमें से महज 600 से 700 के पास ही बीआईएस का लाइसेंस है। साथ ही जिनके पास बीआईएस का लाइसेंस है, वे भी गड़बड़ी कर रहे हैं क्योंकि आईएसआई मानक के अनुरूप सरिया बनाने पर लागत ज्यादा आती है। ऐसे में उनका मार्जिन प्रभावित होता है।
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