Advertisement

Advertisement

इस कमी के चलते सूरतगढ़ थर्मल की सुपर क्रिटिकल इकाई फिर करनी पड़ी बंद


श्रीगंगानगर। सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना की पिछले शनिवार शुरू हुई नवनिर्मित 660 मेगावाट की सातवीं सुपर क्रिटिकल इकाई को लाइट डीजल ऑयल (एलडीओ) यानी फ्यूल ऑयल की कमी के कारण एक बार फिर से बन्द करना पड़ा है। करीब 30 माह की देरी के बाद पिछले शनिवार शुरू हुई सातवी सुपर क्रिटिकल इकाई को धीरे धीरे पूरी क्षमता 660 मेगावाट तक बिजली उत्पादन करने के लक्ष्य को लेकर शुरू किया गया था। इस प्रक्रिया के तहत इकाई से अधिकतम 300 मेगावाट बिजली उत्पादन भी लिया जा चुका था, लेकिन बुधवार-गुरुवार रात को बिजली उत्पादन के दौरान फ्यूल ऑयल का लेवल निर्धारित मापदंड से कम होने के कारण इकाई को बन्द करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि इकाई में बिजली उत्पादन के दौरान कोयले के साथ साथ फ्यूल ऑयल ( एलडीओ) भी जलता है। 


सुपर क्रिटिकल इकाइयों के मुख्य अभियंता बीपी नागर के अनुसार- चूंकि 660 मेगावाट की सातवी सुपर क्रिटिकल इकाई से अभी परीक्षण के तौर पर बिजली उपादन किया जा रहा है। इस दौरान हजारों तरह की सुरक्षा जांच भी साथ साथ चलती है। फिलहाल इकाई से 660 मेगावाट बिजली उत्पादन करना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए भेल के साथ मिलकर हम प्रयासरत है। चूंकि ट्रायल रन के दौरान कोयले के साथ साथ फ्यूल ऑयल भी जलता है एवम कई बार अपेक्षा से अधिक ऑयल की खपत हो जाती है इसलिये कुछ समय के लिए कमी हो सकती है।


 परियोजना में नियमित रूप से टैंकरो के माध्यम से फ्यूल आयल (एलडीओ) की आपूर्ति हो रही है। मिली जानकारी के अनुसार सुपर क्रिटिकल इकाइयों में प्रतिदिन चार से पांच टैंकर ( करीब 100 किलो लीटर ) एलडीओ की आपूर्ति हो रही है, जबकि पिछले चार-पांच दिन में बिजली उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान बॉयलर में जलने वाले कोयले के साथ साथ प्रतिदिन 200 किलो लीटर के आस पास एलडीओ की खपत हो रही है। जिसके कारण परियोजना में एलडीओ का स्टॉक निर्धारित लेवल से कम हो गया है। जानकारी के अनुसार गुरुवार दोपहर 12 बजे तक दो टैंकर एलडीओ की आपूर्ति हो चुकी थी और करीब 100 किलो लीटर एलडीओ परियोजना के लिए रिफाइनरी से लोड हो चुका है। इसके देर शाम तक परियोजना में पहुंचने की संभावना है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रिफाइनरी से फ्यूल आयल की आपूर्ति लगातार जारी है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ

Advertisement

Advertisement