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खेजडी का अवैध कटान रोकने के लिये दिशा निर्देश


श्रीगंगानगर। राजस्थान राज्य मरूस्थलीय प्रदेश है, जहां विषम भौगोलिक परिस्थितियां यथा भीषण गर्मी, अत्यधिक सर्दी एवं वर्षाभाव आदि के कारण बहुत कम प्राकृतिक वृक्ष पनप पाने है। राजस्थान वन अधिनियम 1953 तथा राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1965 में राजस्थान राज्य में कुछ वृक्ष प्रजातियों के कटान एवं परिवहन पर छूट प्रदान की गई है।  प्रायः देखने में आया है कि छूट प्रदत्त प्रजातियां की आड में अन्य वृक्षों के साथ खेजडी जो कि राजस्थान राज्य का राज्य वृक्ष है, का भी कटान हो रहा है। खेजडी थार रेगिस्तान में उगने वाली वनस्पतियों में एक अति महत्वपूर्ण वृक्ष है तथा यह थार मरूस्थल के निवासियों की संस्कृति का अभिन्न अंग है।
राज्य सरकार की अधिसूचना के अनुसार (31.10.1983) खेजडी के वृक्ष को राजस्थान का राज्य वृक्ष घोषित किया हुआ है। राजस्व भूमि में राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1965 एवं राजस्थान वन अधिनियम 1953 के तहत वृक्षों का कटान प्रतिबंधित है।
विभिन्न प्रजातियां के साथ-साथ खेजडी, जो राज्य का राज्य वृक्ष घोषित है तथा जिसका राज्य के लिये एक विशेष महत्व है, के अवैध कटान को रोकने हेतु राज्य सरकार द्वारा दिशा निर्देश प्रसारित किये गये है।
समस्त उपवन संरक्षक वन क्षेत्रों से विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों के अवैध कटान को रोकने के लिये उनके वन मण्डल अधीन वन क्षेत्रों का समय-समय पर निरीक्षण करेगे एवं यथा संभव उनके अधीन वन कर्मियों को इन प्रजातियों के अवैध कटान को रोकने के लिये स्वयं के स्तर से भी आवश्यक दिशा निर्देश जारी करेगें। गैर वन क्षेत्रा से विभिन्न प्रजातियों के पातन उपरांत बगैर सक्षम स्तर से जारी परिपत्र के अभाव में अवैध कटान को रोकने की कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1965 व राजस्थान वन अधिनियम 1953 इत्यादि के तहत अवैध कटान करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कठोर दण्डात्मक कार्यवाही अमल में लाई जावे।
समस्त उप वन संरक्षक उनके क्षेत्राधिकार में संचालित आरा मशीनों का समय-समय पर निरीक्षण करेगें एवं संबंधित आरा मशीन मालिकों को इस बाबत पाबंद करेंगे कि वे किसी भी स्थिति में छूट प्रदत्त वृक्षों के अतिरिक्त अन्य वृक्ष का चिरान, व्यापार नही करेगें जो कि अवैध रूप से उनके आरा मशीन पर लाई गई हो तथा समस्त आरा मशीन मालिको को इस बाबत प्रेरित करेगें कि वे लकडी के अवैध व्यापार से संबंधित सूचना उनके समीप के वन कार्यालय को उपलब्ध करवायेंगे। यदि किसी वन कर्मी के ध्यान में गैर वन क्षेत्रा में छूट प्राप्त प्रजातियों के अतिरिक्त अन्य वृक्ष के कटाव की घटना ध्यान में आती है, तो इसकी जानकारी अविलम्ब स्थानीय प्रशासन को दिया जाना उक्त वन कर्मी की नैतिक जिम्मेदारी होगी।

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