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Sameja kothi- कुछ सरकारी कमजोरी तो ऊपर से घाव को कुरेद रहे यहां कर्मचारी!नतीजन पशु अस्पताल के हालात बद से बदत्तर तक पहुंचे...!

समेजा कोठी।(सतवीर सिह मेहरा)समझ से परे हैं कि राज्य सरकार की अनदेखी कहे या कर्मचारीयों व अफसरों की लापरवाही।जिस सरकार ने पशु सम्पदा को कायम रखने के लिए पशु पालको के लिए लाभकारी योजनाए लागु की उनकी सत्ता में लापरवाही का आलम चल रहा हैं।मामला समेजा कोठी राजकीय पशु चिकित्सालय का हैं। यह चिकित्साल्य स्वंय बीमार हैं,अस्पताल की दुर्दशा देख हैरानी होती हैं की सरकार इस अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारीयों को लताड़ क्यों नही लगाती।यहा देखो कचरा व कांटेनुमा लकड़ी आदि गंदगी पड़ी हैं जो सालभर से देखी जा रही हैं।देखने से लगता हैं यहा कोई अफसर विजिट नही करता।

जहा देखो पड़ी वेस्टज- अस्पताल में घुसते ही गंदगी का सामना करना पड़ता हैं।अस्पताल यहा चिकित्सा प्रभारी कक्ष हैं वही दवाई की खाली शीशीया,सीरिन्ज आदि का ढेर लगा पड़ा हैं जो तस्वीरों में साफ देखा जा सकता हैं।लाखो की बिल्डिंग की कोई देखरेख नही- विभाग की उदासिनता के चलते लाखों रूपयों की बिल्डिंग खण्डर बन रही हैं।मैंन दरवाजे हमेशा खुले छोडे जाते हैं जिससे अन्दर की स्थिति बेहद खराब हो रही हैं।यही नही बिल्डिंग के फर्श पर आग जगा कर अलाव भी तपा जाता हैं जिसकी तस्वीर देखी जा सकती हैं।
लोगों को निशुल्क दवा का लाभ तक नही - राज्य सरकार ने पशुधन निशुल्क दवा योजना 2012 में शुरू की थी ताकि पशुपालकों को राहत मिले लेकिन अधिकांश पशुपालक निशुल्क दवा की जानकारी नही होने से ठगे जा रहे हैं।पीछले दिनों एक ऊंट पालक ने अपने ऊट को बुखार का टिका लगवाया तो वहा पर मौजुद कर्मचारी ने रूपये मांगे जिससे ऊट मालिक ने 100रूपये दिये बाकी बाद में देने की बात पर जाने दिया।जैसे ही इस बात को लेकर पीडित संवाददाता के पास पंहुचा तो चिकित्सा प्रभारी को सुचित किया जिस पर कर्मचारी ने ऊट पालक को रूपये वापस दे दिये। न जाने ऐसे कितने पशुपालक ठगे जा रहे हैं यह सोचनीय विषय हैं।
किसी भी योजना का कोई प्रचार प्रसार नही परिणाम ऊंटो की गिर रही हैं संख्या---- राजस्थान पशु गणना 2007 के अनुसार राज्य में ऊंटो की संख्या 421836 थी जो 2012 की पशु गणना में 325713 रह गई।जो गंभीर चिन्ता की बात हैं।पाज्य के बहुमुल्य ऊँट का संरक्षण एंव संवर्धन किये जाने की दृष्टि से राजस्थान राज्य की सरकार द्वारा इसे राज्य पशु घोषित किया हैं।राजस्थान सरकार ने ऊँटो के अस्तित्व को कायम रखने के लिए प्रदेश में ऊँटो के वध पलायन व तस्करी पर प्रभावी रोक के ऊद्देश्य से राजस्थान उष्ट्र वंशीय पशु अधिनियम भी लागु कर रखा हैं।ऊंटो के लिए जिला व राज्य स्तर पर सलाहाकार समिति भी बनाई जाती हैं।घटती संख्या को रोकने के लिए सरकार ने सम्पूर्ण राज्य में 2 अक्टूबर 2016 से उष्ट्र प्रजनन प्रोत्साहन योजना शुरू की गई।समेजा में ऊट पालको को उष्ट्र प्रजनन प्रोत्साहन योजना का लाभ मांगने पर भी नही दिया गया।हमने ऊटनी पालक जिनके यहा प्रजनन हुआ उनसे बात की तो पता चला की चिकित्सा प्रभारी ने मौके की फोटो व अन्य कागजात का कहकर उन्हे टरका दिया गया।यही वजह हैं की समेजा  में ऊटपालकों का मोहभंग हो रहा हैं।




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