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श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में डिजिटल यूनिवर्सिटी और सैनिक स्कूलों की हो स्थापना: सांसद निहाल चन्द

 श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में डिजिटल यूनिवर्सिटी और सैनिक स्कूलों

की हो स्थापना: श्री सांसद निहाल चन्द
श्रीगंगानगर,। पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री व श्रीगंगानगर लोकसभा सांसद श्री निहालचन्द ने मंगलवार को लोकसभा में शिक्षा मंत्रालय की अनुदान मांगो पर चर्चा के दौरान अपने विचार सदन के समक्ष रखते हुए श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जैसे सीमावर्ती जिलों में डिजिटल यूनिवर्सिटी, एक-एक सैनिक स्कूल की स्थापना करने, रायसिंहनगर व श्रीकरणपुर के केन्द्रीय विद्यालयों के भवन निर्माण समेत हनुमानगढ़ जिले में एक आईआईएम की स्वीकृति की मांग शिक्षा मंत्री से की।
 सदन में बोलते हुए श्री सांसद निहालचन्द ने शिक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार द्वारा पिछले 6 वर्षों के दौरान किये गए सराहनीय कार्यों को बताया और नई शिक्षा नीति की विशेषताओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ’’मानव जीवन में शिक्षा का स्थान अति महत्वपूर्ण है, जोकि एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज को स्थापित करने में सहायक होती है। वर्ष 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया परिवर्तन है, जोकि देश में शिक्षा को बेहतर माहौल उपलब्ध करवाने और सभी वर्गों व लोगों को एक समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने में सहायक होगा‘‘।
 विदित हो कि वर्ष 2021-22 के आम बजट में वित्त मंत्रालय द्वारा शिक्षा मंत्रालय को 93,224 करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं, जो चालू वित्त वर्ष के संशेधित अनुमानों से 8,100 करोड़ रूपये अधिक है। स्कूली शिक्षा विभाग को 54,873 करोड़ रूपये का आवंटन। उच्च शिक्षा विभाग को 38,350 करोड़ रूपये का आवंटन। केंद्रीय विद्यालयों के लिये आवंटन को बढाकर 6,800 करोड़ रूपये किया गया है तथा नवोदय विद्यालयों के लिये भी आवंटन को बढ़ाकर 3,800 करोड़ रूपये किया गया है।
 सांसद श्री निहालचंद ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली की गिनती दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में होती है, जहाँ 15 लाख से अधिक विधालय, 85 लाख से अधिक अध्यापक व 25 करोड़ से अधिक बच्चे है। नई शिक्षा नीति देश में सभी बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढने का अधिकार प्रदान करती है।
सांसद श्री निहालचन्द ने सदन के माध्यम से शिक्षा मंत्री से सीमावर्ती जिलों श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में भी शिक्षा के बेहतर प्रसार की ओर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया, ताकि देश के सीमावर्ती जिलों के छात्र-छात्राओं को भी बड़े स्तर पर अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिले

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