श्रीगंगानगर। पशु विज्ञान केंद्र सूरतगढ़ में सोमवार को आत्मा योजना अंतर्गत दो दिवसीय मछली पालन प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया गया, जिसमें केंद्र के प्रभारी अधिकारी डाॅ. राजकुमार बेरवाल ने आए हुए पशुपालकों का स्वागत व्यक्त किया तथा भारत सरकार द्वारा मछली और जलजीव पालन के महत्त्व को समझाते हुए पहले से चल रही इनसे जुड़ी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को ‘‘नील क्रान्ति मिशन‘‘ के अन्तर्गत शामिल किया गया है। इसमें नेशनल फिशरीज डवलपमेंट बोर्ड के कार्यकलापों के अतिरिक्त अंतःस्थलीय मात्स्यिकी एवं जलजीव पालन, समुद्री मात्स्यिकी इंफ्रास्ट्रक्चर तथा पोस्ट हार्वेस्ट आॅपरेशन मात्स्यिकी क्षेत्रा के डाटाबेस तथा डीआईएस का समुचित विकास, मात्स्यिकी से जुड़े संस्थानों के बीच आपसी तालमेल, मछुआरों के कल्याण हेतु राष्ट्रीय योजना आदि को भी सम्मिलित किया गया है। इसका उद्देश्य मात्स्यिकी के माध्यम से लोगों की पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए मत्स्य कृषकों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य की प्राप्ति भी है।
प्रशिक्षण शिविर में केंद्र के डाॅक्टर अनिल घोड़ेला ने मत्स्य पालन क्षेत्रा में क्रान्ति, नीली क्रान्ति के अन्तर्गत सभी मौजूदा योजनाओं को एकीकृत कर योजना की पुनर्संरचना की गई। मछली में रेहु, कतला, ग्रासकाॅर्प प्रजाति की मछली दी गई थी। उस वक्त मछली करीब 100 ग्राम के वजन की थी। अब यह 800 ग्राम से लेकर डेढ़ किलो तक की हो चुकी है। करीब सात एकड़ में मछली पालन कराया गया था। स्थानीय गंगा की मछली की बाजार में अच्छी दाम मिलती है। डाॅ. राजकुमार बेरवाल ने ग्रामीणों को मछली पालन के तालाब बनाने के तरीके बताए। केंद्रीय मत्स्य बीज उत्पादन फार्म सूरतगढ़ के महेंद्र सिंह केंद्रीय बीज अधिकारी ने किसानों को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी दी तथा किसानों को केंद्रीय मत्स्य बीज उत्पादन फार्म का भ्रमण करवाया गया।
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