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तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित होगी 11 सितंबर को

 तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित होगी 11 सितंबर को

पक्षकारान् के मध्य राजीनामा होने से समय व धन की बचत होती है - सचिव

हनुमानगढ़। माननीय राजस्थान विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निर्देशानुसार तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 11 सितंबर को प्रातः 10 बजे से 4 बजे तक किया जाना है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती संदीप कौर ने बताया कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर के निर्देशानुसार एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) श्री संजीव मागो के निर्देशन में 11 सितम्बर को न्यायालय में लंबित प्रकरणों में दाण्डिक शमनीय अपराध, धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण, एम.ए.सी.टी के प्रकरण, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवादों के प्रकरण, बिजली पानी एवं अन्य बिल से संबंधित प्रकरण (अशमनीय के अलावा), वैवाहिक विवाद (तालाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण (सिविल न्यायालय/अधिकरण में लंबित) मजदूरी भत्ते और पेंशन भत्तों से संबंधित सेवा मामले, राजस्व मामले (केवल जिला न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में लंबित), अन्य सिविल मामले एवं प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण श्रम एवं नियोजन संबंधी विवादों के प्रकरण, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित प्रकरण (अशमनीय के अलावा), भरण-पोषण से संबंधित प्रकरण, अन्य प्रकरण (दाण्डिक शमनीय एवं अन्य सिविल प्रकरण) से संबंधित प्रकरणों के संबंध में ऑफलाईन के साथ-साथ ऑनलाइन माध्यम से तृतीय राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है।
श्रीमती संदीप कौर ने बताया कि उपरोक्त प्रकृति के प्रकरण राष्ट्रीय लोक अदालत में रैफर करवाने हेतु पक्षकारान् स्वयं अथवा अपने अधिवक्ता के मार्फत न्यायालय में ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। अथवा संबंधित न्यायालय के ई-मेल, व्हाट्सएप या मोबाइल नम्बर पर कॉल करके भी आवेदन कर सकते हैं। न्यायालयों द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत से पूर्व पक्षकारान् के मध्य व्यक्तिशः व आनलाईन माध्यम से प्री-काउंसलिंग के माध्यम से भी राजीनामा करवाने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय लोक अदालत में पक्षकारान् के मध्य राजीनामा होने से समय व धन की बचत होती है, राजीनामा से निर्णय होता है तथा दी गई कोर्ट फीस वापिस की जाती है। राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रकरण के निस्तारण से किसी भी पक्षकार की हार नहीं होती है बल्कि दोनों पक्षों की जीत होती है। लोक अदालत का निर्णय सिविल न्यायालय की डिक्री के सामान होता है जिसकी अपील नहीं होती है।

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