जूनोटिक बीमारियों के बचाव व उपचार विषय पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
श्रीगंगानगर, । पशु विज्ञान केंद्र सूरतगढ़ परिसर में बुधवार को विश्व जूनोसेस दिवस का आयोजन किया गया। इसमें केंद्र के प्रभारी अधिकारी डॉ. राजकुमार बेरवाल ने विश्व जूनोसिस दिवस का महत्व बताते हुए सभी पशुपालकों तथा मुख्य अतिथि श्री अनिल धानुका व शहर के अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत व्यक्त किया। इसमें राजेंद्र सिंह सेवानिवृत्त सहायक कृषि अधिकारी, श्रीखूबराम पूर्व सरपंच गौरव गहलोत उपस्थित थे।डॉक्टर बेरवाल ने बताया कि जूनोटिक रोग वो संक्रामक रोग होते हैं, जो जानवरों से मनुष्यों और मनुष्यों से जानवरों में फैलते हैं। जब ये रोग मनुष्यों से जानवरों में फैलते है तो इसे रिवर्स जूनोसिस कहा जाता हैं। ज़ूनोटिक रोग बैक्टीरिया, वायरस, फफूँद अथवा परजीवी किसी भी रोगकारक से हो सकते हैं। भारत में होने वाले ज़ूनोटिक रोगों में रेबीज, ब्रूसेलोसिस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, ईबोला, निपाह, ग्लैंडर्स, साल्मोनेलोसिस, लेप्टोस्पाइरोसिस एवम जापानीज इन्सेफेलाइटिस इत्यादि शामिल हैं।
केंद्र के डॉ. अनिल घोड़ेला तथा डॉ. मनीष कुमार सेन ने बताया कि विश्व भर में लगभग 150 जूनोटिक रोग उपस्थित हैं। कुछ ज़ूनोटिक रोग तो सीधे ही सम्पर्क में आने से फैलते हैं जबकि कुछ वेक्टर जैसे कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़, घोंघा, चिचड़, मछली, पिग, मुर्गी और घोड़ा इत्यादि के द्वारा फैलाये जाते हैं।
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