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बुवाई हेतु आदानों की उपलब्धता एव उर्वरकों के साथ अन्य आदान टैगिंग नही करने सम्बन्धी निर्देश

 बुवाई हेतु आदानों की उपलब्धता एव उर्वरकों के साथ अन्य आदान टैगिंग नही करने सम्बन्धी निर्देश

श्रीगंगानगर। रबी 2023-24 में श्रीगंगानगर (अनूपगढ़ सहित) जिले में यूरिया की 140000 मैट्रिक टन, डीएपी की 35000 मैट्रिक टन व सिंगल सुपर फास्फेट की 38000 मैट्रिक टन मांग राज्य सरकार को भिजवायी गयी है।

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. जीआर मटोरिया ने बताया कि जिले में अब तक 86833 मैट्रिक टन यूरिया, 37683 मैट्रिक टन डीएपी, 47112 मैट्रिक टन सिंगल सुपर फास्फेट व 4718 मैट्रिक टन एनपीकेएस की आपूर्ति हो चुकी है। किसानों द्वारा अक्टूबर व नवम्बर माह में क्रय करने के बाद इस समय 21265 मैट्रिक टन यूरिया, 3282 मैट्रिक टन डीएपी, 1435 मैट्रिक टन एनपीकेएस व 14750 मैट्रिक टन सिंगल सुपर फॉस्फेट जिलें में उपलब्ध है। इस प्रकार आगे भी यूरिया व डीएपी के रैक नियमित रूप से आते रहेगे व उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहेगी। किसान भाई बुवाई क्षेत्र व अपनी आवश्यकता के अनुसार उर्वरक खरीद कर समय पर बुवाई करें।

उन्होंने बताया कि एक साथ उर्वरकों का भण्डारण करने का प्रयास नही करें ताकि सभी किसानों को रबी फसलों हेतु आवश्यकतानुसार उर्वरकों की उपलब्धता बनी रहें। अगर कोई आदान विक्रेता उर्वरकां के साथ किसी अन्य आदान की टैगिंग करता है तो यह ‘‘उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985’’ के नियमों की अवहेलना है इसकी सूचना सम्बन्धित क्षेत्र के सहायक निदेशक कृषि या कृषि अधिकारी को देवें ताकि सम्बन्धित आदान विक्रेता फर्म के विरूद्ध ‘‘उर्वरक नियंत्रण आदेश 1985’’ के अन्तर्गत नियमानुसार आवश्यक कार्यवाही की जा सके।

उन्होंने बताया कि डीएपी से केवल फास्फोरस व ऩत्रजन दो पोषक तत्व ही फसल को मिलते है जबकि एनपीकेएस में ऩत्रजन, फास्फोर, पोटाश व गंधक पोषक तत्व भी फसल को मिलते है जिससे सन्तुलित पोषक तत्व उपयोग को प्रोत्साहन मिलता है। यह गेहूं, जौं, सरसों के साथ-साथ बागों व सब्जियों के लिए भी लाभदायक है।

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