हनुमानगढ़। पांचवें एवं छठे वेतनमान की विसंगति दूर करने व सेवानिवृत्त ग्रामसेवकों को पेंशन देने सहित विभिन्न मांगों को लेकर असहयोग आंदोलन कर रहे ग्रामसेवकों ने गुरुवार को आंदोलन की कड़ी में कलक्ट्रेट के समक्ष एकदिवसीय धरना दिया। धरने के बाद मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री व अतिरिक्त मुख्य सचिव के नाम प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। धरनास्थल पर हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि वेतनमान की विसंगति दूर करने, पेंशन देने, ग्रामसेवक पदेन सचिवों के रिक्त पदों पर भर्ती का परिणाम जारी करने आदि मांगों को लेकर ग्रामसेवक पिछले लंबे समय से आंदोलनरत हैं। इस संबंध में समझौता भी सरकार से हुआ लेकिन उपेक्षात्मक रवैये से ग्रामसेवकों में आक्रोश है। उन्होंने आरोप लगाया कि जहां ग्रामसेवक पदोन्नति के अवसर बढ़ाते हुए विकास अधिकारी के पद पर पदोन्नति की मांग कर रहा है वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार ने सहायक कृषि अधिकारी के पदोन्नति पदों पर ग्रामसेवकों के 1978 से आरक्षित पांच प्रतिशत पदों को समाप्त कर उनके हितों पर कुठाराघात किया है। उन्होंने बताया कि राजस्थान ग्रामसेवक संघ ने अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर आमरण अनशन किया। इसके बाद अक्टूबर 2016 में संगठन के साथ सरकार का लिखित समझौता हुआ तथा एक माह में मांगों पर सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन दिया गया। लेकिन चार माह बीतने के बाद भी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लगातार पांच बुधवार उपवास भी रखा लेकिन सरकार नहीं जागी। इसी के चलते संघ को लिखित समझौते को लागू करवाने के लिए चरणबद्ध तरीके से असहयोग आंदोलन शुरू करने का निर्णय लेना पड़ा। संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश खटोतिया ने बताया कि आंदोलन के तहत 23 मार्च को प्रदेश के सभी ग्रामसेवक जयपुर में जुटेंगे तथा विशाल रैली निकाल विधानसभा के समक्ष धरना देकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। धरने पर संघ के जिलाध्यक्ष नरेश शर्मा, महामंत्री प्रताप तंवर, ब्लॉक अध्यक्ष रानू चौधरी, गीता देवी, जयसिंह सेवदा, बनवारीलाल सुथार, रामकरण, मगरूर सिंह, रघुवीर गोदारा सहित जिलेभर के ग्रामसेवक मौजूद थे।
0 टिप्पणियाँ
इस खबर को लेकर अपनी क्या प्रतिक्रिया हैं खुल कर लिखे ताकि पाठको को कुछ संदेश जाए । कृपया अपने शब्दों की गरिमा भी बनाये रखे ।
कमेंट करे