कैसे मनाए होली पर्व के बारे में बताया



हनुमानगढ़ । भारतीय संस्कृति उत्सवों पर्वो और त्यौहारों की संस्कृति है इसमें दो प्रकार के पर्व आते है ।  लौकिक और अध्यात्मिका होली एक लौकिक पर्व है ।  इसमें ऋतु परिवर्तन के साथ सबके चेहरो पर एक नया उल्लास, नयी उमगें और नये आनन्द की तरंगे छलकती हुई दिखती हैं ।  मनोरंजन के लिए अनेक आयोजन आयोजित किये जाते है ।  तनाव विसर्जन के लिए अभ्य आचरण भी आचरित होते हैं ।  पर मेरा सुझाव है कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा निर्दिष्ट प्रेक्षा ध्यान के प्रयोगों के द्वारा आप होली खेले ।  शन्ति केन्द्र पर श्वेत रंग के दर्शन केन्द्र पर आसमानी रंग, विशुद्वि केन्द्र पर पीला रंग, आनन्द केन्द्र पर हरा रंग एवं स्वास्थ्य केन्द्र पर नीले रंग का ध्यान करें ।  इन प्रयोगों से आनन्द से सरोबार हो जायेगें, अपने आप की मस्ती में खो जायेगे । और नये उल्लास से भर जायेगे ।  ये विचार हनुमानगढ़ टाउन तेरापंथ भवन में शासनश्री साध्वीश्री रत्नश्री जी ने अभिव्यक्त किये ।तपस्वी बहिन श्रीमती पंचशीला
का अभिनन्दन होली पर्व के पावन अवसर पर तेरापंथ भवन हनुमानगढ़ टाउन में शासन श्री साध्वीश्री रतनश्री जी के सान्निध्य में तपोड भिनन्दन का कार्यक्रम आयोजित किया ।श्रीमती पंचशीला पटावरी अनेकानेक तपस्याओं के साथ 5 मासखमण किये छठा वर्षीतप शुरू होने वाला है । इस प्रसंग पर तेरापंथ सभाध्यक्ष श्री सुरेन्द्र कोठारी, तेयुप अध्यक्ष श्री संजय बांठिया, संरक्षक श्री पदमचन्द बांठिया,संजीव
बांठिया महिला मण्डल अध्यक्ष कल्पना जैन, उषा जैन वैषाली जैन ने भावाभिव्यक्ति दी । महिला मण्डल ने सामूहिक अभिवादन गीत गाया ।  साध्वी कार्तिक प्रभा, साध्वी चिंतनप्रभा ने सुमधुर स्वरों में संगान किया ।साध्वी श्री रतन श्री जी ने तपस्या के प्रति प्रमोद भावना व्यक्त करते हुए कहा कि तेरापंथ की आधार भूमि तपस्या ही है ।  आचार्य भिक्षु ने तेले की तपस्या में इस संघ का शिलान्यास किया था ।  उसके सहारे यह चतुर्मुखी प्रगति कर रहा है । पंचशीला जी अपनी तपस्या को सतत चालू रखें ।  संघ की सूषमा बढ़ाये ।ते.सभा, महिला मण्डल और तेयुप ने अभिनन्दन में मोमैंटो प्रदान किया । कार्यक्रम का संचालन महेश भादानी ने किया ।

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