लव कुमार जैन
दलोट/ राज्स्थान
निनोर गांव की पद्मावती माता मंदिर परिसर में मेले के अंतिम दिन आज शनिवार को श्रद्धालु अपने बच्चों परिवार की सलामती खुशहाली के लिए जलते अंगारों पर चलकर अच्छे स्वास्थ्य के लिए माताजी से कामना करेंगे। जहां जरा सा जलने पर लोग कराह उठते हैं,वहीं माताएं बच्चों की सलामती के लिए महिलाएं जलते अंगारों पर पर बेखौफ है। दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलकर महिलाएं आस्था की कसौटी पर अपनी ममता को कसती दिखती हे
सैकड़ों वर्ष पुराना है मंदिर
निनोर माँ पद्मावती मंदिर का प्राचीन इतिहास
श्री त्रिरूपधारिणी माँ पद्मावती की अति प्रचीन एव चमत्कारीक प्रतिमा राजस्थान व मध्यप्रदेश की संगम स्थली ग्राम निनोर (नेनवती)में विराजमान हे । यह प्रतिमा राजा नल दमयंती के समय की हे जो की 3000 वर्ष से भी अधिक पुरानी हे । शास्त्रो में नेनावती नगरी , नैनसुख तालाब , पद्मावती मंदिर , सोने की दीवाल आदि ऐतिहासिक स्थलो का उल्लेख मिलता हे । और अभी भी अवशेष मौजूद हे।
उस समय निनोर का नाम नयनावत नागरी था।
समयकाल अनुसार परिवर्तन आता गया । इस मंदिर प्रांगण में शक्ति पीठ में दो समाधी स्थल (गुरु चेले कि जीवित) विद्यमान हे। यहाँ प्रति वर्ष चैत्र विदी पंचमी को मेले का आयोजन होता हे । जिसमे मंदिर प्रांगण में अंगारो की चुल पर भक्त जन चलते हे एव वर्तमान में मंदिर विकास का कार्य प्रगति पर हे ।
इसी के साथ निनोर के इतिहास में एक अदभूद् शिव मंदिर हे जो किसी समय यहाँ स्थित नैनसुख तालाब में कही से उड़ कर आया था......
पूरी होती है मुरादें
ऐसी मान्यता है कि पद्मावती मंदिर के सामने जलते अंगारों पर चलकर जो भी मंदिर में जाकर मन्नत मांगता है मां पद्मावती उसकी मनोकामना जरूर पूरी करती है। मंदिर जाने के रास्ते में लकड़ियां जलाकर चूल बनाई जाती है। यहां मान्यता है कि जिन महिलाओं की कोख नहीं भरती है और मंदिर में आकर मन्नत मांगते हैं। उनकी सूनी कोख भर जाती है। इसी का परिणाम है कि यहां मन्नत पूरी होने से मंदिर में सैंकड़ो पालने लगे हुए हैं।
इन स्थानों से पहुंचते है श्रद्धालु
निनोर के पद्मावती मंदिर में प्रतापगढ़,चित्तौड़गढ़,बांसवाड़ा,उदयपुर ,डूंगरपुर,मध्यप्रदेश के रतलाम,मंदसौर,जावरा,नीमच,अरनोद,रायपुर जंगल,बड़ीसाखथली,उज्जैन सहित आसपास क्षेत्रों के हजारों श्रद्धालु मेले में दर्शनार्थ पहुँचते है....
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