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अब नही फूलेगी राकेश की सांस, स्वस्थ जीवन की जागी नई आश

द्ब्र आरबीएसके के तहत हुआ राकेश के दिल के छेद का सफल ऑपरेशन

हनुमानगढ । अपने जिगर के टुकडे को तडफता देखना एक माताद्ब्रपिता के लिए सबसे दु:खदायी मंजर होता है। ऐसा ही मंजर देखने और सहन करने को मजबूर था, पीलीबंगा का खेतिहर मजदूर पूर्णराम।
चिकित्सा विभाग के जिला आईईसी समन्वयक श्री मनीष शर्मा ने बताया कि पूर्णराम के 14 वर्षीय बेटे राकेश की तबीयत बचपन से ही खराब रहती थी। वह जब 1-2 माह का था, उसके शरीर में फुलावट आनी शुरु हो गई थी, जिससे वह अन्य बच्चों की तुलना में बडा लगने लगा था। थोडा सा चलने पर ही उसकी सांसें फूलने लगती थी और वो जोरद्ब्रजोर से सांस लेने की कोशिश करता था। शरीर में फुलावट के साथ उसके नाखूनों भी फुलावट आनी शुरु हो गई थी। उसके शरीर में गांठें बननी भी शुरु हो गई थी। गांव में किसी डॉक्टर को दिखाया, तो उसने बताया कि राकेश के दिल में छेद होने की आशंका है। डॉक्टर के कहने पर राकेश को बेहतर इलाज के लिए गुजरात के अहमदाबाद शहर में दिखाया और उसका इलाज शुरु करवाया। डॉक्टरों ने बताया कि राकेश के इलाज में काफी खर्च आएगा। वहां राकेश का इलाज शुरु किया। राकेश के इलाज पर अढाई लाख रुपए खर्च हो भी चुके थे और इलाज के लिए और अधिक पैसों की आवश्यकता थी, इसलिए वो अधूरा इलाज छोडकर वापिस पीलीबंगा आ गए।

शर्मा ने बताया कि पीलीबंगा आने के बाद भी राकेश की तबीयत अधिकतर खराब ही रहती थी। इस दौरान उसके मुंह से खून भी आना शुरु हो गया था। इसलिए वो स्कूल जाने में आनाकानी करने लगा था और कभीद्ब्रकभार ही स्कूल जाया करता था। इसे इत्तफाक कहें या राकेश का सौभाग्य कि राकेश स्कूल गया हुआ था कि इसी दरमियान राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम ने स्कूल में पहुंची। पीलीबंगाद्ब्रबी टीम में शामिल डॉक्टर नवनीत कौर, डॉ. उमेश कुमार शर्मा व नर्सिंग सहायक संजय निवाद ने अन्य बच्चों के साथ राकेश की भी स्क्रीनिंग की, तो उसकी बीमारी का तुरन्त पता चला गया। डॉक्टरों ने अध्यापकों की मदद से पूर्णराम को बुलाकर बताया कि राकेश की बीमारी का इलाज सरकार द्वारा नि:शुल्क करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इलाज के बाद राकेश भी अन्य बच्चों की तरह खेलद्ब्रकूद और दौड सकेगा। उसकी जिन्दगी सामान्य बच्चों की तरह खुशहाल बन सकेगी। यह सुनकर पूर्णराम को लगा कि जैसे उसकी भगवान द्वारा ली जा रही 14 बरस की कठिनाइयों की परीक्षा खत्म हो गई है। उसने अपनी पत्नी को भी जानकारी दी कि सरकार जन्मजात विकृति वाले बच्चों का नि:शुल्क इलाज ऑपेशन करवा रही है और अब उनके बच्चे राकेश का इलाज भी नि:शुल्क हो सकेगा। डीपीएम रचना चौधरी के सहयोग एवं तमाम कागजी औपचारिकताओं के बाद राकेश को 16 फरवरी 2017 को इलाज के लिए जयपुर के फोर्टिज अस्पताल भेजा गया, जहां 23 फरवरी को उसका सफल ऑपेशन किया गया। फोर्टिज अस्पताल के चन्द्रमोहन गुप्ता ने बताया कि राकेश का ऑपेशन सफल रहा है। राकेश 4 मार्च को ही जयपुर से पीलीबंगा घर वापिस आया है। राकेश के परिवार के साथद्ब्रसाथ राकेश के मित्रा भी बहुत खुश हैं। उन्हें खुशी है कि उनका दोस्त अब उनके साथ घण्टों तक खेला करेगा। राकेश के पिता पूर्णराम को भी अब सुकून है कि उनका बुरा वक्त अब खत्म हो गया है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम उनके घर में नई खुशियां लेकर आया है।

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