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देशप्रेमियों को आज भी प्रेरणा देता है महाराणा प्रताप का संघर्ष


@रिपोर्ट एक्सक्लूसिव - दिलीप सैन की रिपोर्ट
प्रतापगढ़ ।महाराणा प्रताप की 477 वीं जयंती पर हुआ समारोह, पंजाब के राज्यपाल व विधानसभा अध्यक्ष, चित्तौड़गढ़ सांसद, जैन मुनि सुनील सागर, धरियावद विधायक गौतमलाल मीणा,कलक्टर नेहा गिरि, सभापति कमलेश डोसी सहित बड़ी संख्या में लोगों ने की शिरकत की पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर ने कहा है कि महाराणा प्रताप ने अपने सिद्धांतों एवं आदर्शों के लिए संघर्ष कर स्वाधीनता और मातृभूमि प्रेम का एक दृष्टिकोण दिया, जो बाद में भी सदैव अपनी स्वाधीनता की परवाह करने वालों का मागदर्शन करते हुए उन्हें प्रेरणा देता रहा है।

राज्यपाल बदनौर रविवार को मिनी सचिवालय स्थित महाराणा प्रताप स्मारक उनकी 477 वीं जयंती पर मेवाड़ क्षत्रिय महासभा,नगर परिषद, करणी सेना एवं स्वंयसेवी संस्थाओ, संगठनो के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि औरंगजेब के शासन काल में सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह भी मेवाड़ आए थे,

 संभवतः महाराणा प्रताप के संघर्ष से उन्हें भी प्रेरणा मिली होगी। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह के खालसा पंथ के ध्येयवाक्य ‘वाहे गुरु दा खालसा, वाहे गुरु दी फतह’ में मेवाड़ का ध्येयवाक्य ‘जो दृढ राखै धर्म को, ताहि राखे करतार’ का दर्शन प्रतिबिंबित होता है। उन्होंने कहा कि महाराणा  प्रताप ने विभिन्न वर्गों को अपने साथ जोड़कर मातृभूमि से रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी।

 उनके संघर्ष के बारे में सोचकर ही प्रेरणा मिलती है। उन्होंने बताया कि पंजाब यूनिवर्सिटी में स्थापित महाराणा प्रताप पीठ के माध्यम से उनके जीवन के बारे में शोध किया जाएगा।  उन्होंने प्रतापगढ़ शहर की सफाई व्यवस्था के लिए सभापति कमलेश डोसी की मुक्तकंठ से सराहना की।समारोह की अध्यक्षता करते हुए पंजाब के विधानसभा अध्यक्ष राणा केपी सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप की जयंती दुनिया के समस्त आजादी के विश्वास रखने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण दिन है और मेवाड़ की मिट्टी का जर्रा-जर्रा ऐसे लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 

उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप भारतीय संस्कृति की‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ की सोच के बड़े पहरेदार रहे और मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर किया।  संघर्ष का जो नायाब तरीका प्रताप ने इजाद किया, उसी पर चलकर आगे सिक्खों और मराठों ने मुगलों को कमजोर किया। उन्होंने बताया कि महाराणा के जीवन, दर्शन और तथ्यों पर रिसर्च के लिए महाराणा प्रताप पीठ की स्थापना की गई है। पंजाब के भी हर छोटे-बड़े गांव में महाराणा प्रताप जयंती श्रद्धा से मनाई जाती है।

जैन मुनि सुनील सागर ने कहा कि महाराणा प्रताप ने सांसारिकता का आदर्श रूप प्रस्तुत किया क्योंकि मातृभूमि की रक्षा के लिए तलवार लेकर खड़े होना ही सच्चा क्षत्राीय धर्म है। जिस तरह भगवान महावीर ने आत्मा के निखार के लिए जंगल को चुना, वैसे ही महाराणा प्रताप ने स्वाधीनता की रक्षा के लिए महलों को छोड़ा। महावीर ने भीतर के शत्राुओं को जीता और महाराणा प्रताप बाहरी शत्राुओं से लड़े। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप की तरह ही हिंदुस्थान के दूसरे राजाओं ने भी संघर्ष किया होता तो कोई हिंदुस्थान को पराधीन नहीं बना सकता था। 

उन्होंने शराब से परहेज करने की बात पर बल देते हुए कहा कि महाराणा प्रताप लोगों को जोड़ने की अपनी सोच के चलते ही ‘महाराणा प्रताप द ग्रेट’ बने।विशिष्ट अतिथि सांसद सीपी जोशी ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे योद्धा के कारण ही आज समूची दुनिया मेवाड़ को सम्मान की नजर से देखती है। जोशी ने कहा उन्होंने महाराणा प्रताप पर डाक टिकट के लिए प्रधानमंत्राी से अनुरोध किया था, जिस पर उन्होंने डाक टिकट जारी करवाया है। अब उनके अनुरोध पर झाला मान पर भी डाक टिकट के लिए स्वीकृति मिली है। उनकी कोशिश रहेगी कि झाला के बलिदान दिवस 18 जून पर यह टिकट जारी हो। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के आदर्श आज भी हमें अपने स्वाभिमान की रक्षा और मातृभूमि से प्रेम की प्रेरणा देते हैं।

सभापति कमलेश डोसी, मनोहर सिंह कृष्णावत, अशोक सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किए। मेवाड़ क्षत्रिय सभा के जिलाध्यक्ष डीडी सिंह राणावत ने स्वागत किया।  इस मौके पर जिला कलक्टर नेहा गिरि, एसपी शिवराज मीणा, धरियावद विधायक गौतम मीणा, उप सभापति डॉ विद्या राठौड़, बालूसिंह कानावत, गजेंद्र सिंह बान्सी सहित विशिष्ट व्यक्ति मंचस्थ थे। इससे पूर्व राज्यपाल बदनौर एवं समस्त अतिथियों ने मिनी सचिवालय परिसर में स्थित महाराणा प्रताप स्मारक पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान राज्यपाल ने विभिन्न प्रतिभावान व्यक्तियों एवं विद्यार्थियों का सम्मान किया।

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