फाइल फोटो |
बिज़नस खबर । भारतीय स्टेट बैंक द्वारा दिए गये कर्ज़ को लेकर गम्भीर नजर आ रहा हैं तो वहीं देश भर में कर्ज़ में फंसे व्यापारियों को भी दयालुता दिखाने की बात सामने आई हैं । देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने कहा है कि देश में फंसे कर्ज की स्थिति उतनी खराब नहीं है जैसा समझा जा रहा है । जो भी राशि कर्ज में फंसी है वह उन उद्योगों से संबंधित है जो अभी कारोबार कर रहे हैं और आर्थिक वृद्धि में तेजी आने और इन उद्योगों के फिर से बेहतर कामकाज करने के बाद बैंक संभवत: राशि की वसूली कर लेंगे । भारतीय स्टेट बैंक की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुंधति भट्टाचार्य ने यहां एक सत्र को संबोधित करते हुये कहा कि जो कर्ज गैर-निष्पादित राशि यानी एनपीए में परिवर्तित हुआ है उसकी वजह यह रही है कि कर्ज लेने वाले उद्योग अथवा इकाइयां इतनी कमाई नहीं कर पा रहीं हैं कि वह अपनी ब्याज देनदारी को पूरा कर सकें । क्रेडिट सुईस के मुताबिक कंपनियों का करीब 16.6 प्रतिशत कर्ज और जीडीपी की 8.4 प्रतिशत राशि को एनपीए घोषित किया जा चुका है । बैंकों का कुल मिलाकर 9 लाख करोड़ रुपये से लेकर 12 लाख करोड़ रुपये तक की राशि दबाव वाली संपत्ति बन गई है । इसमें फंसा कर्ज, पुनर्गठित रिण और कंपनियों को दिया गया ऐसा रिण भी शामिल है जिस पर ब्याज एवं किस्त का समय पर भुगतान नहीं किया जा सका है । सरकार ने कल एक अध्यादेश के जरिये बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन कर रिजर्व बैंक को पुराने कर्ज की वसूली के बारे में निर्देश देने के लिये अधिक अधिकार दिये हैं । बैंकों को एनपीए की वसूली के लिये रिजर्व बैंक समितियां भी गठित कर सकता है जो बैंकों उचित सलाह देंगी ।
खबर के स्त्रोत जी न्यूज़ वेबसाइट की माने तो देश में कर्ज़ को लेकर काफी कुछ नए नियम और कड़े निर्देश बनाने की जरूरत हैं । इसको लेकर खबरे भी आ रही हैं की केंद्र सरकार ने आरबीआई को भी कड़े नियम और निर्देश तैयार करने का भी इशारा किया हैं तो वहीं आरबीआई भी इस ओर कदम उठाने को लेकर सोच रही हैं ।
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