"कहा जाता है कि ज़िन्दगी में "अक्सर" हम किसी भी काम को करने का सबसे "आसान रास्ता" खोजते हैं। और ऐसा करते-करते हम कब "सुविधा भोगी" हो जाते हैं, पता ही नही चलता। और हमारी आदत में "शुमार" हो जाता है कि हम हर चीज़ का एक "आसान रास्ता" या "शॉर्टकट" खोजें, और अगर हमारी यही "आदत" बन गयी तो समझिये कि हम "गलत दिशा" में जा रहे हैं।
"दरअसल, आज हमारी "सोच" के अन्दर "तुरन्त इच्छापूर्ति" की "भावना" पैदा हो गयी है, हम लोग जो भी "हासिल" करना चाहते हैं "आसान तरीके" से तुरन्त और "आनन-फानन" में पाना चाहते हैं, हमारे पास कोई "long-term strategy" नही होती, सबकुछ "short-term" में और "आसानी" से पाना चाहते हैं। और इसी सोच का "नतीजा" ये होता है कि या तो हम "गलत रास्ते" अपनाते हैं, या काम "सही तरीके" से नही करते।
"असल मे, किसी भी काम मे "जुगाड़ू" होना या "shortcut" अपनाना ग़लत तो नहीं है, लेकिन यह ध्यान रखना ज़रूरी होता है कि हमारे "तरीक़े" और "रास्ते" ग़लत ना हों, और साथ ही यह भी ज़रूरी होता है कि "जुगाड़" और "आसान रास्ता" हमारी "जूझने" की "क्षमता (ताक़त) में कमी लाने वाला ना हो, क्योंकि आज अगर हम "मानसिक अवसाद" के शिकार होते हैं, तो इसलियें कि हमारे "जूझने" की ताक़त "कम" हो रही है।
"तो दोस्तों, ज़िन्दगी में आसान रास्ता या शॉर्टकट तो खोजें लेकिन हर काम में यह "खोजना" ठीक नहीं, क्योंकि कुछ काम "long-term" और "मुश्किल रास्तों" से होकर ही पूरे हो पाते हैं, अगर हम हर काम मे आसान रास्ता या "shortcut" खोजेंगे तो यक़ीनन "गलत तरीके" या "गलत रास्ते" को अपनायेंगे, और हमें "कामयाबी" मिलने की बजाय "असफ़लता" और "दोष" ही मिलेंगे।
लेखक - राशिद सैफ़ी "आप" मुरादाबाद
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