मनोरंजन खबर। बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार (12 जून) को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त को अच्छे आचरण के आधार पर जेल से पहले रिहा करने के अपने फैसले के संबंध में पूर्ण विवरण दे. न्यायमूर्ति आर.एम.सावंत तथा न्यायमूर्ति साधना जाधव की एक खंडपीठ ने सरकार को अपने फैसले को न्यायोचित ठहराने, अभिनेता को आठ महीने पहले जेल से रिहा करने के लिए विचार में लाए गए मानदंडों तथा उनके प्रति उदारता दिखाने के लिए किन प्रक्रियाओं का पालन किया गया, इस संबंध में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया.
संजय दत्त को मुंबई में मार्च 1993 में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले से जुड़े हथियार रखने के एक मामले में पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसे उन्होंने पुणे के येरवदा जिले में भुगता. उन्हें 25 फरवरी, 2016 को रिहा कर दिया गया था. न्यायालय पुणे के सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें उन्होंने सजा भुगतने के दौरान संजय दत्त को कई बार मिली फरलो तथा पैरोल को चुनौती दी है.
न्यायालय ने यह जानना चाहा है कि क्या उप महानिरीक्षक (कारागार) से परामर्श लिया गया या जेल अधीक्षक ने सिफारिश को सीधे महाराष्ट्र सरकार के पास भेज दिया. न्यायमूर्ति सावंत ने पूछा, "अधिकारी यह आकलन कैसे कर सकते हैं कि दत्त का आचरण बढ़िया था. उन्हें यह आकलन करने का मौका कब मिला, जबकि आधे समय दत्त पैरोल पर जेल से बाहर ही रहे?" मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी.
फोटो & न्यूज़ ज़ी मीडिया
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